इजरायल-ईरान जंग में चीन की एंट्री! तेहरान में भेजा कार्गो प्लेन, क्या हो रही है हथियारों की सप्लाई?

    तेहरान में हाल ही में एक चीनी कार्गो विमान के गुप्त तरीके से उतरने की खबरों ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में हलचल मचा दी है.

    China sends cargo plane to Tehran during Israel-Iran war
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- X

    तेहरान: इजरायल और ईरान के बीच जारी भीषण संघर्ष अब तेजी से वैश्विक शक्ल लेता जा रहा है. ताजा घटनाक्रम में चीन की अचानक और चौंकाने वाली भूमिका सामने आई है. तेहरान में हाल ही में एक चीनी कार्गो विमान के गुप्त तरीके से उतरने की खबरों ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में हलचल मचा दी है.

    बताया जा रहा है कि इस चीनी विमान ने जानबूझकर अपना ट्रांसपॉन्डर बंद कर रखा था, ताकि उसकी पहचान रडार पर न हो सके. इस कदम से संदेह और गहरा हो गया है कि चीन ईरान को सैन्य सहायता या रणनीतिक उपकरण भेज रहा है, जिसे सार्वजनिक रूप से छिपाया जा रहा है.

    इजरायल के खिलाफ मोर्चा खोला

    चीन पहले भी इजरायल के हमलों पर अपनी आपत्ति दर्ज कर चुका है, लेकिन इस बार जो हुआ है, वह अमेरिका के लिए सीधी चुनौती माना जा रहा है. अमेरिका पहले ही ईरान को चेतावनी दे चुका है कि उसके खिलाफ किसी भी कार्रवाई का कड़ा जवाब दिया जाएगा. ऐसे में चीन का ईरान के पक्ष में आना वाशिंगटन के लिए बेहद नाजुक स्थिति पैदा कर रहा है.

    विश्लेषकों का मानना है कि यदि चीन वाकई सैन्य रूप से ईरान का समर्थन कर रहा है, तो यह इजरायल-ईरान युद्ध को एक बड़े क्षेत्रीय संघर्ष में बदल सकता है, जिसमें अमेरिका और चीन सीधे आमने-सामने आ सकते हैं.

    गुप्त मिशन या सामान्य आपूर्ति?

    चीनी कार्गो विमान का ट्रांसपॉन्डर बंद करके उड़ान भरना सामान्य व्यापारिक उड़ानों में असामान्य है. आमतौर पर यह रणनीति सैन्य मिशनों या प्रतिबंधित सामानों के परिवहन में अपनाई जाती है. ऐसे में यह सवाल और बड़ा हो गया है कि क्या यह चीन का सिर्फ कूटनीतिक समर्थन था या वाकई बीजिंग ईरान को हथियार, मिसाइल टेक्नोलॉजी या संवेदनशील उपकरण दे रहा है?

    चीन का पक्ष: ईरान की संप्रभुता का समर्थन

    चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने इजरायल के हमलों को लेकर पहले ही तीखा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि चीन ईरान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का पूरी तरह समर्थन करता है और बीजिंग किसी भी ऐसी कार्रवाई का विरोध करता है, जो क्षेत्रीय तनाव को भड़काए.

    लिन जियान ने 'ऑपरेशन राइजिंग लॉयन' के संभावित गंभीर परिणामों को लेकर गहरी चिंता जताई थी और यह भी स्पष्ट किया था कि चीन इस संघर्ष में एक जिम्मेदार भूमिका निभाने के लिए तत्पर है.

    अमेरिका के लिए नई चुनौती

    अमेरिका, जो पहले से ही ईरान को लेकर आक्रामक नीति अपना चुका है, अब चीन के इस गुप्त कदम से दबाव में आ सकता है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि ईरान अगर अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाता है तो 'परिणाम बहुत खतरनाक' होंगे. लेकिन अगर चीन इस संघर्ष में पर्दे के पीछे से सैन्य सहायता दे रहा है, तो क्या अमेरिका सीधे चीन को निशाना बनाएगा?

    इस सवाल का जवाब आने वाले दिनों में अमेरिका के कूटनीतिक और सैन्य कदमों में नजर आ सकता है. अगर अमेरिका और चीन के बीच इस मुद्दे पर तनाव खुलकर सामने आता है, तो यह न केवल पश्चिम एशिया, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन को भी हिला सकता है.

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