अमेरिका, रूस, चीन, भारत... दुनिया के दरवाजे पर खड़ा है परमाणु युद्ध का खतरा, रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

    दुनिया एक बार फिर परमाणु हथियारों की खतरनाक दौड़ की ओर लौट रही है.

    The threat of nuclear war is at the world's doorstep
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- FreePik

    स्टॉकहोम: दुनिया एक बार फिर परमाणु हथियारों की खतरनाक दौड़ की ओर लौट रही है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की 2025 की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, नौ परमाणु संपन्न देश—अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, यूके, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इजरायल—अपने परमाणु शस्त्रागार को न केवल बढ़ा रहे हैं, बल्कि उन्हें पहले से ज्यादा घातक और आधुनिक बना रहे हैं.

    1980 के दशक में जहां वैश्विक स्तर पर 64,000 से अधिक परमाणु हथियार थे, उनकी संख्या अब 12,241 रह गई है. यह गिरावट अब थम चुकी है और परमाणु हथियारों का जखीरा फिर से खतरनाक रूप से बढ़ने लगा है.

    हथियारों का आधुनिकीकरण तेज

    SIPRI के डायरेक्टर डैन स्मिथ का कहना है, "दुनिया ने 1991 से लेकर 2010 तक परमाणु निरस्त्रीकरण में बड़ी प्रगति की थी. हजारों वॉरहेड्स नष्ट कर दिए गए थे, लेकिन अब हालात तेजी से उलट रहे हैं." रूस और अमेरिका के बीच New START संधि अब लगभग निष्क्रिय हो चुकी है और दोनों देश अपने परमाणु कार्यक्रमों को फिर से आक्रामक तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं.

    सबसे गंभीर बात यह है कि अब परमाणु हथियार सिर्फ संख्या में नहीं बढ़ रहे, बल्कि उन्हें कहीं अधिक उन्नत, मोबाइल और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सक्षम बनाया जा रहा है. इसका मतलब यह है कि इन हथियारों की प्रतिक्रिया समय बेहद कम हो गया है और गलती की कोई गुंजाइश भी अब खतरनाक स्तर पर आ गई है.

    एशिया में बन रहा 'परमाणु त्रिकोण'

    SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार एशिया अब परमाणु हथियारों की नई प्रतिस्पर्धा का सबसे खतरनाक केंद्र बनता जा रहा है.

    चीन अपनी परमाणु क्षमताओं को रिकॉर्ड गति से बढ़ा रहा है. उसके पास अब 600 से ज्यादा वॉरहेड्स हैं, और DF-41 जैसी इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें पूरी तरह से ऑपरेशनल हो चुकी हैं.

    भारत अपने परमाणु हथियार भंडार में धीरे-धीरे वृद्धि कर रहा है, लेकिन उसने अब सेकंड-स्ट्राइक क्षमता को मजबूत करने के लिए अपनी समुद्री परमाणु ताकत और डिलीवरी सिस्टम पर विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया है.

    पाकिस्तान टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन, MIRV-capable मिसाइलें और समुद्री आधारित परमाणु हथियारों को तेजी से विकसित कर रहा है.

    इस त्रिकोण के बढ़ते तनाव को SIPRI ने 'मिसकैलकुलेशन का सबसे बड़ा खतरा' बताया है. किसी भी रणनीतिक गलती या गलतफहमी से एशिया एक विनाशकारी युद्ध की चपेट में आ सकता है.

    अमेरिका, रूस और वैश्विक अस्थिरता

    अमेरिका और रूस, जिनके पास कुल वैश्विक परमाणु हथियारों का 90% हिस्सा है, दोनों ही देश अपने पुराने हथियारों को रिटायर करने के बजाय उन्हें आधुनिक बना रहे हैं. अमेरिका की नई परमाणु नीति के अनुसार, परमाणु हथियार अब "प्रतिरोध के प्राथमिक साधन" बनते जा रहे हैं. रूस ने यूक्रेन युद्ध के दौरान परमाणु हमले की धमकियों से यह साफ कर दिया है कि ये हथियार अब सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि रणनीतिक निर्णयों के केंद्र में हैं.

    इजरायल और मध्य-पूर्व में बढ़ती तैयारी

    इजरायल, जो पारंपरिक रूप से अपने परमाणु कार्यक्रम पर चुप्पी साधे रहता है, अब नेगेव रेगिस्तान में प्लूटोनियम उत्पादन संयंत्र को अपग्रेड कर रहा है. यह संकेत है कि इजरायल भी अब इस होड़ में किसी से पीछे नहीं रहना चाहता, खासकर ईरान के साथ बढ़ते तनाव के बीच.

    न्यूक्लियर हथियार: अब कूटनीति का हिस्सा

    SIPRI की रिपोर्ट चेतावनी देती है कि परमाणु हथियार अब सिर्फ युद्ध के आखिरी विकल्प नहीं रहे. अब ये वैश्विक कूटनीति, शक्ति संतुलन और क्षेत्रीय बातचीत का हिस्सा बन चुके हैं. AI-आधारित निर्णय प्रणाली, स्पेस डिफेंस और हाइपरसोनिक मिसाइलों के साथ जुड़कर ये हथियार अब पहले से कहीं ज्यादा खतरनाक हो गए हैं.

    ये भी पढ़ें- अमेरिकी दूतावास तक पहुंची ईरानी मिसाइल, ट्रंप को उकसाने की कोशिश कर रहे हैं खामेनेई! देखें वीडियो