अमेरिका को फ्लावर समझने की गलती कर बैठा चीन! PL-17 के सामने फायर की तरह निकलेगी AIM-260 मिसाइल; भारत सबसे आगे!

    जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी तेज़ी से उन्नत हो रही है, वैसे ही हवाई युद्ध की रणनीति भी नई दिशा में बढ़ रही है. अब लड़ाकू विमानों की ताकत केवल उनकी रफ्तार या रडार सिस्टम में नहीं, बल्कि उनके साथ लगे बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) मिसाइल सिस्टम में है.

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    जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी तेज़ी से उन्नत हो रही है, वैसे ही हवाई युद्ध की रणनीति भी नई दिशा में बढ़ रही है. अब लड़ाकू विमानों की ताकत केवल उनकी रफ्तार या रडार सिस्टम में नहीं, बल्कि उनके साथ लगे बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) मिसाइल सिस्टम में है. दुनिया की बड़ी सेनाएं अब ऐसी मिसाइलों पर दांव लगा रही हैं जो 300 से 400 किलोमीटर दूर दुश्मन के एयरक्राफ्ट को गिराने में सक्षम हों.

    एयरस्पेस को चुनौती देने की तैयारी

    चीन ने PL-15 मिसाइल के सफल उपयोग के बाद अब दो और बेहद लंबी दूरी की मिसाइलों PL-17 और PL-21 पर काम तेज़ कर दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, PL-17 की रेंज लगभग 400 किलोमीटर तक हो सकती है, और इसे विशेष रूप से AEW&C एयरक्राफ्ट, टैंकर और स्टील्थ विमानों को निशाना बनाने के लिए तैयार किया जा रहा है. PL-17 में इनर्शियल नेविगेशन, सैटेलाइट गाइडेंस, डाटा लिंक और टर्मिनल एक्टिव रडार सीकर जैसी एडवांस गाइडेंस तकनीकें शामिल हैं. इससे पहले चीन पाकिस्तान को PL-15 जैसी मिसाइलें दे चुका है, जिनका कथित रूप से भारत के खिलाफ उपयोग भी किया गया था.

    अमेरिका का AIM-260: अगली पीढ़ी की हवाई रक्षा

    चीन की बढ़ती मिसाइल क्षमता को देखते हुए अमेरिका भी पीछे नहीं है. अमेरिकी वायुसेना और नौसेना ने AIM-260 JATM (Joint Advanced Tactical Missile) को विकसित करने के लिए बड़ी फंडिंग जारी की है. यह मिसाइल AIM-120 AMRAAM की जगह लेगी, और इसमें रामजेट या डुअल-पल्स रॉकेट मोटर, इन्फ्रारेड रडार सीकर, टू-वे डाटा लिंक और ईसीएम प्रतिरोधी सिस्टम शामिल होंगे. AIM-260 को पहले F-22 रैप्टर में तैनात किया जाएगा और आगे चलकर F-35 और F-15EX जैसे विमानों में भी इंटीग्रेट किया जाएगा. इसका मुख्य उद्देश्य PL-17 और PL-21 जैसी मिसाइलों को टक्कर देना है.

    रूस की R-37M: भारत की नई उम्मीद

    इस रेस में रूस भी प्रमुख खिलाड़ी है. उसकी R-37M मिसाइल, जो 150-400 किलोमीटर की रेंज तक वार कर सकती है, अब भारत के लिए खास महत्व रखती है. यह मिसाइल पहले MiG-31 के लिए बनी थी, लेकिन अब इसे Su-30MKI, Su-35S, और Su-57 जैसे विमानों में तैनात किया जा रहा है. भारत रूस से इस मिसाइल को खरीदने पर विचार कर रहा है और रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘मेक इन इंडिया’ के तहत इसके स्थानीय निर्माण की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं. R-37M में मिड-कोर्स टारगेटिंग, डुअल-पल्स मोटर और डुअल-बैंड रडार सीकर जैसी अत्याधुनिक क्षमताएं हैं.

    न्यूक्लियर-लैस एयर-टू-एयर मिसाइल की अटकलें

    एक अमेरिकी इंटेलिजेंस रिपोर्ट में यह इशारा किया गया है कि रूस अपनी किसी एयर-टू-एयर मिसाइल को न्यूक्लियर वारहेड से लैस करने पर विचार कर रहा है. संभावना है कि यह मिसाइल R-33 हो सकती है, जो अमेरिका के B-21 स्टील्थ बॉम्बर जैसे हाई वैल्यू टारगेट्स के खिलाफ उपयोगी हो सकती है. अगर ऐसा होता है, तो यह हवाई युद्ध की दिशा ही बदल देगा.

    भारत की मौजूदा क्षमताएं और भविष्य की रणनीति

    भारत के पास वर्तमान में Meteor और Astra Mk1/Mk2 जैसी मिसाइलें हैं, जिनकी रेंज 100-160 किलोमीटर तक है. लेकिन मौजूदा हालात में यह स्पष्ट है कि भविष्य की हवाई लड़ाई सिर्फ विमान पर नहीं, बल्कि उसकी मिसाइल की रेंज, सटीकता, नेटवर्क कनेक्टिविटी और इलेक्ट्रॉनिक प्रतिरोध क्षमता पर आधारित होगी.

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