पाकिस्तान के साथ हाल के सैन्य तनाव और पाकिस्तान को चीन की मिल रही सहायता के बीच भी भारत और चीन के बीच कूटनीतिक संवाद का नया मौका नजर आ रहा है. जुलाई में ब्राजील के रियो डी जनेरियो में होने वाले 17वें BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हो सकती है. यह मुलाकात पिछले साल रूस के कजान शहर में हुई BRICS बैठक के बाद दोनों नेताओं की दूसरी संभावित आमना-सामना होगी, जो दोनों देशों के बीच रिश्तों को सामान्य करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
चीन-पाकिस्तान सैन्य सहयोग के बावजूद भारत-चीन संबंधों में समन्वय
पिछले कुछ महीनों में चीन ने पाकिस्तान को अत्याधुनिक सैन्य तकनीक की आपूर्ति तेज कर दी है. इनमें J-35A स्टील्थ लड़ाकू विमान, सैटेलाइट संचार सुविधाएं और पीएल-15 एयर टू एयर मिसाइलें शामिल हैं, जिनका पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया है. इन सबके बावजूद भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि क्षेत्रीय तनाव के बावजूद भारत-चीन संबंधों में स्थिरता बनी रहे.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद और उसके बाद हुई सैन्य कार्रवाइयों के दौरान भारत ने बार-बार चीन को अपनी स्थिति से अवगत कराया था और कोशिश की थी कि यह संघर्ष भारत-चीन संबंधों को प्रभावित न करे. हालांकि, चीन ने पाकिस्तान के सैन्य समर्थन को खुलकर नहीं अपनाया, लेकिन कूटनीतिक स्तर पर उसने पाकिस्तान का समर्थन जारी रखा. खासतौर पर, चीन ने पाकिस्तान को “हर मौसम का साथी” बताया और उसकी “संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता” की रक्षा का समर्थन किया. साथ ही, उसने जम्मू-कश्मीर में हुए हमलों की निष्पक्ष जांच के लिए पाकिस्तान के आह्वान का समर्थन भी किया, जबकि भारत ने इसे सिरे से खारिज किया.
BRICS शिखर सम्मेलन: बहुपक्षीय संवाद का मंच
भारत के लिए BRICS शिखर सम्मेलन एक ऐसा मंच है जहां वह चीन के साथ रणनीतिक संवाद को जारी रखने का प्रयास करता है. प्रधानमंत्री मोदी की संभावित बैठक से यह संकेत मिलेगा कि भारत इस बहुपक्षीय संगठन को एक व्यापक कूटनीतिक अवसर के रूप में देखता है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने हाल ही में कहा था कि भारत-चीन संबंध “पारस्परिक विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता” पर आधारित होने चाहिए.
ब्राजील सम्मेलन से पहले ही बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार से मुलाकात की और दोनों देशों ने अपनी सुरक्षा साझेदारी को और मजबूत करने पर जोर दिया. इस दौरान चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (CPEC) 2.0 को लेकर भी बातचीत हुई, जो क्षेत्रीय रणनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है.
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