ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में रियाद में एक संवाद के दौरान पाकिस्तान की आतंकवाद में भूमिका को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन जारी है और इसके सबूत साफ तौर पर मौजूद हैं. ओवैसी, जो भारतीय जनता पार्टी के सांसद बैजयंत पांडा के नेतृत्व वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य रहे हैं, ने पाकिस्तान की सेना प्रमुख आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाए जाने के समारोह में एक अमेरिकी प्रतिबंधित आतंकवादी मोहम्मद एहसान की उपस्थिति को भी रेखांकित किया.
आतंकवाद को लेकर पाकिस्तानी नीतियों पर सवाल
ओवैसी ने बताया कि पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है और उनका उद्देश्य भारत में अस्थिरता फैलाना तथा सांप्रदायिक दंगे भड़काना है. उन्होंने वित्तीय सहायता पर नियंत्रण की आवश्यकता पर जोर देते हुए पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में पुनः डालने की मांग की. उन्होंने एक तस्वीर का हवाला देते हुए कहा कि कैसे फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के बगल में अमेरिकी नामित आतंकवादी मोहम्मद एहसान बैठे थे.
मुंबई हमलों के सबूतों को लेकर पाकिस्तान की दोहरी नीति
26/11 मुंबई आतंकी हमलों का जिक्र करते हुए ओवैसी ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान को इस हमले के सभी सबूत सौंपे थे, लेकिन तब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई जब तक पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में नहीं डाला गया. उन्होंने पाकिस्तान के उस दावे का भी खुलासा किया, जिसमें सज्जाद मीर के मृत होने का झूठ फैलाया गया, जबकि बाद में यह माना गया कि वह जीवित है. ओवैसी ने बताया कि पाकिस्तान ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सज्जाद मीर के खिलाफ कुछ कार्रवाई की, लेकिन आतंकवाद के आरोपों पर कोई कदम नहीं उठाया.
भारत की एजेंसियों के पास मौजूद पुख्ता सबूत
ओवैसी ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका का भी उल्लेख किया, जिन्होंने मुंबई हमलों के दौरान आतंकवादियों और उनके पाकिस्तान में बैठे ऑपरेटर्स के बीच हुई बातचीत को रिकॉर्ड किया था. उन्होंने बताया कि इन वार्तालापों में आतंकियों को हत्याओं को बढ़ावा दिया जा रहा था और कहा जा रहा था कि ज्यादा से ज्यादा भारतीयों को मारो, तुम्हें जन्नत मिलेगी.
पठानकोट हमले के बाद भी नतीजे में विफल पाकिस्तान
2016 के पठानकोट एयरबेस हमले का जिक्र करते हुए ओवैसी ने बताया कि उस हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान की एजेंसियों को जांच के लिए भारत बुलाया था, लेकिन वहां से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. उन्होंने कहा, “यह सोचने वाली बात है कि एक देश अपने दुश्मन की एजेंसी को बुलाकर सबूत दिखाता है, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकलता.”
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