'भारत को हमारे घरेलू मामलों में हस्तक्षेप नहीं...' रिजिजू ने दिया दलाई लामा का साथ तो बिलबिलाया चीन

    केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा दलाई लामा के उत्तराधिकारी चयन को लेकर दिए गए बयान पर चीन ने आपत्ति जताते हुए भारत से तिब्बत (जिसे चीन शिजांग कहता है) से संबंधित मुद्दों पर "सावधानी" बरतने की अपील की है.

    China got upset when Rijiju supported Dalai Lama
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    नई दिल्ली/बीजिंग: केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा दलाई लामा के उत्तराधिकारी चयन को लेकर दिए गए बयान पर चीन ने आपत्ति जताते हुए भारत से तिब्बत (जिसे चीन शिजांग कहता है) से संबंधित मुद्दों पर "सावधानी" बरतने की अपील की है. यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत-चीन संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में दोनों देश एक बार फिर कूटनीतिक प्रयास कर रहे हैं.

    किरन रिजिजू का बयान और उसका संदर्भ

    केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने 3 जुलाई को एक सार्वजनिक टिप्पणी में कहा कि “दलाई लामा के उत्तराधिकारी का निर्णय केवल संबंधित धार्मिक संस्था और स्वयं दलाई लामा द्वारा लिया जाएगा. इसमें किसी अन्य पक्ष की भूमिका नहीं होगी.”

    यह बयान दलाई लामा की उस घोषणा के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा कि गादेन फोडरंग ट्रस्ट को ही उत्तराधिकारी तय करने का अधिकार है. यह भारत सरकार की ओर से इस विषय पर किसी वरिष्ठ मंत्री की पहली सार्वजनिक प्रतिक्रिया थी.

    चीन ने लगाया घरेलू मामले में हस्तक्षेप का आरोप

    चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने 4 जुलाई को प्रेस वार्ता में कहा, “भारत को तिब्बत से संबंधित मुद्दों पर अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करना चाहिए और चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप से बचना चाहिए.” उन्होंने कहा कि भारत को दलाई लामा की “चीन विरोधी अलगाववादी प्रकृति” को लेकर स्पष्ट दृष्टिकोण रखना चाहिए.

    माओ ने यह भी कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन “धार्मिक परंपराओं, स्वर्ण पात्र प्रणाली और चीन के केंद्रीय प्रशासन की स्वीकृति” के आधार पर होना चाहिए — जैसा कि उनके अनुसार, वर्तमान दलाई लामा के चयन में हुआ था.

    धर्मशाला में भारत सरकार की मौजूदगी

    केंद्रीय मंत्री रिजिजू और उनके सहयोगी राजीव रंजन सिंह 6 जुलाई को धर्मशाला में दलाई लामा के 90वें जन्मदिवस पर आयोजित कार्यक्रम में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे. मंत्री ने इस अवसर को “शुद्ध धार्मिक आयोजन” बताया और स्पष्ट किया कि “इसका राजनीति से कोई संबंध नहीं है.”

    भारत-चीन संबंधों पर संभावित प्रभाव

    चीन की ओर से दी गई प्रतिक्रिया ऐसे समय पर आई है जब पूर्वी लद्दाख में जारी सीमा गतिरोध के बीच भारत और चीन संबंधों को सामान्य करने के प्रयास कर रहे हैं. पिछले वर्ष रूस में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अनौपचारिक मुलाकात के बाद से संवाद की गति फिर से तेज हुई है.

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