'सीजफायर के लिए गिड़गिड़ा रहा था मुनीर...' पाकिस्तानी पत्रकार ने ही खोल दी ट्रंप के झुठे दावे की पोल

    भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए सैन्य तनाव और बाद में घोषित संघर्षविराम (सीजफायर) को लेकर पाकिस्तान के एक वरिष्ठ पत्रकार निजाम सेठी ने अहम जानकारी साझा की है.

    Pakistani journalist exposed Trump Munirs claims
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए सैन्य तनाव और बाद में घोषित संघर्षविराम (सीजफायर) को लेकर पाकिस्तान के एक वरिष्ठ पत्रकार निजाम सेठी ने अहम जानकारी साझा की है. सेठी के मुताबिक, पाकिस्तान ने संघर्षविराम के लिए पर्दे के पीछे से अमेरिका से लगातार मदद की अपील की थी, और इसमें तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से विशेष सहयोग मांगा गया था.

    यह बयान भारत के उस आधिकारिक रुख की पुष्टि करता है जिसमें कहा गया था कि संघर्षविराम केवल भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच आपसी सहमति से हुआ था – किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं थी.

    ट्रंप की भूमिका पाकिस्तानी आग्रह पर: सेठी

    मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, निजाम सेठी ने दावा किया कि पाकिस्तान की ओर से संघर्षविराम की पहल के लिए अमेरिका पर गंभीर राजनयिक दबाव डाला गया था. उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद ने लॉबिंग कंपनियों के माध्यम से ट्रंप प्रशासन तक अपनी बात पहुंचाई और सैन्य टकराव से बचने के लिए हरसंभव कोशिश की.

    सेठी ने यह भी बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने जो सार्वजनिक रूप से संघर्षविराम का श्रेय लिया, वह पाकिस्तान की मांगों का ही हिस्सा था, जिसे इस्लामाबाद ने अपनी कूटनीतिक जीत के रूप में प्रस्तुत किया.

    डीजीएमओ की बातचीत से हुआ समाधान

    भारत सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि संघर्षविराम किसी तीसरे देश की मध्यस्थता से नहीं, बल्कि दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों की आपसी बातचीत से संभव हुआ. भारत ने ट्रंप के बयानों पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह केवल पाकिस्तान के अनुरोध और प्रचार का हिस्सा है.

    अब सेठी के खुलासे के बाद यह और स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान ने युद्ध की स्थिति को संभालने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की शरण ली थी, जबकि भारत सैन्य और कूटनीतिक दोनों स्तरों पर संयम और दृढ़ता से आगे बढ़ता रहा.

    असीम मुनीर की भूमिका पर सवाल

    रिपोर्ट्स के अनुसार, संघर्षविराम की प्रक्रिया के दौरान पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की भूमिका भी अहम रही. दावा किया गया कि उन्होंने अमेरिकी पक्ष से व्यक्तिगत संबंधों के ज़रिये समर्थन की कोशिश की, और ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने की बात तक कही गई.

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