नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य टकराव में एक और चेहरा सामने आया है, चीन. नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर ज्वाइंट वॉरफेयर स्टडीज़ (CJWS) की ताज़ा रिपोर्ट ने दावा किया है कि इस टकराव के दौरान चीन ने पाकिस्तान को सैटेलाइट, रडार और खुफिया सूचनाओं के माध्यम से गुप्त सहयोग दिया.
यह खुलासा ऐसे समय पर हुआ है जब क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य में चीन की भूमिका पर लगातार सवाल उठते रहे हैं.
22 अप्रैल को क्या हुआ था?
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 भारतीय पर्यटकों की जान गई. भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया और "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों को लक्ष्य कर जवाबी कार्रवाई की. इसके बाद सीमा पर सैन्य गतिविधियां तेज़ हुईं और दोनों देश लगभग जंग के कगार पर पहुंच गए.
ब्लूमबर्ग रिपोर्ट और भारतीय रिसर्च ग्रुप
अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन ब्लूमबर्ग ने CJWS की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि इस संघर्ष में चीन, प्रत्यक्ष युद्ध में शामिल हुए बिना, परोक्ष रूप से पाकिस्तान के पक्ष में सक्रिय रहा.
रिपोर्ट के अनुसार:
हथियारों की लाइव टेस्टिंग या असफलता?
CJWS के डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अशोक कुमार ने यह भी दावा किया कि चीन ने इस संघर्ष को अपने हथियारों की ‘लाइव बैटल टेस्टिंग’ का मौका माना.
चीनी J-10C फाइटर जेट और PL-15 एयर-टू-एयर मिसाइलों को मैदान में उतारा गया, लेकिन भारतीय सैन्य सूत्रों के अनुसार, इन हथियारों का प्रदर्शन औसत से भी नीचे रहा.
भारत के ड्रोन-डिटेक्शन सिस्टम और सैटेलाइट निगरानी ने पाकिस्तान द्वारा लॉन्च किए गए सैकड़ों ड्रोन को ट्रैक कर निष्क्रिय कर दिया.
भारत की 'दो-फ्रंट वॉर' अब स्थायी सिद्धांत
रिपोर्ट में यह चेतावनी भी दी गई है कि भारत को अब हर सुरक्षा रणनीति 'दो मोर्चों की लड़ाई' (Two-Front War) के नजरिए से बनानी होगी.
लेफ्टिनेंट जनरल अशोक कुमार, डायरेक्टर, CJWS ने कहा, "चीन भले ही सीधे युद्ध में शामिल न हो, लेकिन पाकिस्तान के ज़रिए दबाव बनाने की उसकी नीति स्पष्ट है."
भारत पहले ही लद्दाख और अरुणाचल में PLA (चीन की सेना) की गतिविधियों को मॉनिटर कर रहा है और अब पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के साथ किसी भी संभावित मिलनसार सैन्य कार्रवाई की तैयारी भी तेज़ कर दी है.
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और चीन की चुप्पी
पाकिस्तान ने केवल इतना कहा कि उसने चीन से हथियार खरीदे थे, लेकिन इंटेलिजेंस सहयोग के दावे पर कोई टिप्पणी नहीं की. चीन के विदेश और रक्षा मंत्रालय ने रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया.
भारत का रक्षा मंत्रालय इस पूरे मामले पर अभी तक औपचारिक बयान नहीं दे रहा है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, आंतरिक स्तर पर स्थिति की गंभीरता से समीक्षा की जा रही है.
क्या यह 'शीत युद्ध 2.0' की झलक?
दक्षिण एशिया का यह घटनाक्रम महज़ सीमाई टकराव नहीं, बल्कि तीनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों—भारत, पाकिस्तान और चीन—के बीच एक नया रणनीतिक समीकरण उभरने का संकेत है.
विशेषज्ञों का मानना है कि:
भारत को अपनी रणनीतिक संप्रभुता और प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता को और तेज़ी से विकसित करना होगा.
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