एक-एक कर खत्म हो रहे हैं भारत के दुश्मन, पाकिस्तान में मारा गया लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी अबू सैफुल्लाह

    पाकिस्तान के सिंध प्रांत में शनिवार को लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा से जुड़ा कुख्यात आतंकी अबू सैफुल्लाह मार दिया गया.

    Lashkar-e-Taiba terrorist Abu Saifullah killed in Pakistan
    Image Source: Social Media

    नई दिल्ली: भारत के खिलाफ दशकों से सक्रिय आतंकी नेटवर्क के भीतर हलचल मची है. पाकिस्तान के सिंध प्रांत में शनिवार को लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा से जुड़ा कुख्यात आतंकी अबू सैफुल्लाह मार दिया गया. सैफुल्लाह को मतली फलकारा चौक के पास अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी.

    यह हत्या ऐसे समय हुई है जब बीते कुछ महीनों में भारत-विरोधी गतिविधियों से जुड़े कई बड़े आतंकी पाकिस्तान में ही मारे जा चुके हैं. विश्लेषक इसे आतंकी नेटवर्क के भीतर चल रही भीतरघात और सफाई अभियान का संकेत मान रहे हैं.

    नेपाल से पाकिस्तान तक फैला नेटवर्क

    सैफुल्लाह की पहचान रजुल्लाह निजामनी के रूप में भी हुई है. वह नेपाल में लश्कर के मॉड्यूल को चला रहा था, जहां वह ‘विनोद कुमार’ नाम से छिपकर रह रहा था.

    नेपाल में रहते हुए उसने स्थानीय महिला नगमा बानू से शादी की और भारतीय सीमा के पास रहकर घुसपैठ, हथियारों की तस्करी और फंडिंग जैसे अपराधों को अंजाम दे रहा था.

    सैफुल्लाह, लश्कर के कुख्यात ऑपरेशनल कमांडर आजम चीमा उर्फ बाबाजी का करीबी था. चीमा 26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के साथ मिलकर भारत विरोधी रणनीतियां बनाता रहा है.

    कई हमलों का साज़िशकर्ता

    अबू सैफुल्लाह का नाम भारत के कई बड़े आतंकी हमलों से जुड़ा है:

    • 2006 में नागपुर स्थित RSS मुख्यालय पर हमला,
    • 2005 में बेंगलुरु स्थित IISc संस्थान पर हमला,
    • 2008 में रामपुर CRPF कैंप पर हुए हमले की साजिश.

    इन हमलों के पीछे उसका हाथ होने की पुष्टि भारतीय एजेंसियों द्वारा की गई थी. लेकिन सैफुल्लाह पाकिस्तान और नेपाल की सीमाओं का फायदा उठाकर लंबे समय तक बचता रहा.

    टॉप आतंकी अबू कताल भी मारा गया

    सैफुल्लाह की मौत से ठीक दो महीने पहले, मार्च में लश्कर-ए-तैयबा का एक और बड़ा नाम अबू कताल भी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अज्ञात हमलावरों द्वारा मार दिया गया था.

    अबू कताल, 26/11 हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का करीबी था. वह जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमलों की साजिशों में शामिल था. 2024 में रियासी जिले में तीर्थयात्रियों की बस पर हुए हमले, जिसमें 10 लोगों की जान गई थी, में भी उसका नाम सामने आया था.

    कुलभूषण केस में शामिल मुफ्ती मीर भी खत्म

    इसी कड़ी में मार्च महीने में मुफ्ती शाह मीर नामक आतंकी की भी पाकिस्तान में हत्या कर दी गई. मीर ने भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को ईरान से अगवा करने में ISI की मदद की थी. बलूचिस्तान में मस्जिद के बाहर नमाज के बाद बाइक सवार हमलावरों ने गोली मार दी.

    हथियारों और मानव तस्करी में शामिल यह कट्टरपंथी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम से जुड़ा था.

    क्या पाकिस्तान में हो रहा है आतंकी सफाया ?

    इन हत्याओं से कई अहम सवाल उठते हैं: क्या यह ISI का ‘खामोश ऑपरेशन’ है, जो अब भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते कुछ चेहरों को हटाने में लगा है? या फिर आतंकी संगठनों के भीतर ही आंतरिक सत्ता संघर्ष की स्थिति है?

    विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान की जमीन पर भारत विरोधी आतंकी वर्षों से खुलेआम सक्रिय रहे हैं. लेकिन अब स्थानीय असंतोष, अंतरराष्ट्रीय दबाव और भीतरघात ने इस ढांचे को हिलाना शुरू कर दिया है.

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