बीजिंग: आधुनिक युद्ध में तकनीक का प्रभाव अब सिर्फ मिसाइलों या ड्रोन तक सीमित नहीं रहा. अब लड़ाई बिजली पर भी केंद्रित होती जा रही है. इसी दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए चीन ने एक ऐसा उन्नत हथियार विकसित किया है, जो दुश्मन के बिजली नेटवर्क को पंगु बना सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, यह बम एक ग्रेफाइट आधारित ‘पावर डिसेबलिंग सिस्टम’ की तरह काम करता है, जो दुश्मन क्षेत्र में पूरी तरह ब्लैकआउट की स्थिति पैदा कर सकता है.
कैसे काम करता है यह हाईटेक बम?
चीन के सरकारी ब्रॉडकास्टर सीसीटीवी ने हाल ही में इस रहस्यमयी हथियार का एक एनिमेटेड वीडियो जारी किया है. इसमें एक जमीन आधारित वाहन से मिसाइल लॉन्च करते दिखाया गया है, जो हवा में जाकर 90 छोटे कनस्तरों (सबम्यूनिशन) में विभाजित हो जाती है. ये कनस्तर ज़मीन पर गिरकर छोटे-छोटे विस्फोट करते हैं और उसमें से निकलने वाले केमिकल-ट्रीटेड कार्बन फिलामेंट बिजली के ट्रांसफॉर्मर और पावर ग्रिड में शॉर्ट सर्किट कर देते हैं. इसका असर इतना व्यापक है कि 10,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र की बिजली आपूर्ति पूरी तरह ठप की जा सकती है.
किस स्तर का नुकसान पहुंचा सकता है?
ग्रेफाइट बम क्या है यह तकनीक?
हालांकि चीनी मीडिया ने इसे "ग्रेफाइट बम" कहकर नहीं पुकारा, लेकिन इसके कार्य करने की प्रक्रिया बिल्कुल उसी तरह है. ग्रेफाइट बम कोई पारंपरिक विस्फोटक नहीं होता यह कार्बन फिलामेंट का उपयोग करके बिजली सप्लाई सिस्टम को निष्क्रिय करता है, जिससे लड़ाई के मैदान में भारी रणनीतिक लाभ मिलता है.
क्या पहले से हैं PLA के पास ऐसे हथियार?
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) द्वारा ग्रेफाइट बम का प्रयोग एक रहस्य रहा है, लेकिन 2017 में ‘मॉडर्न शिप्स मैगजीन’ के संपादक चेन वुंडी ने संकेत दिया था कि PLA के पास पुराने संस्करण के ग्रेफाइट बम मौजूद हैं. चेन ने इन्हें "असामान्य लेकिन निर्णायक हथियार" कहा था, जो भविष्य के युद्धों में बड़ा बदलाव ला सकते हैं.
अमेरिका भी कर चुका है इसका इस्तेमाल
ग्रेफाइट बम का सबसे चर्चित प्रयोग अमेरिका द्वारा 1991 के खाड़ी युद्ध में किया गया था. अमेरिका की टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों में ग्रेफाइट वॉरहेड लगे थे, जिन्होंने इराक की 85% नेशनल ग्रिड को निष्क्रिय कर दिया था, जिससे सैन्य और सरकारी संचालन पर गहरा असर पड़ा.
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