चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को उनके 90वें जन्मदिन पर शुभकामनाएं देने और भारतीय मंत्रियों के धर्मशाला में आयोजित समारोह में भाग लेने पर कड़ी आपत्ति जताई है. चीन ने इस घटनाक्रम को तिब्बत से संबंधित अपनी स्थिर और स्पष्ट नीति का उल्लंघन मानते हुए भारत से चेतावनी दी है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि तिब्बत पर बीजिंग की नीति स्पष्ट और अपरिवर्तनीय है. उनका आरोप था कि दलाई लामा धर्म के नाम पर तिब्बत के विभाजन के लिए काम कर रहे हैं और भारत को इस मुद्दे में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. माओ ने यह भी कहा कि भारत को तिब्बत के मामले में चीन की स्थिति का सम्मान करना चाहिए और दलाई लामा के समर्थन के बजाय चीन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करना चाहिए.
भारत पर तिब्बती अलगाववादियों को समर्थन देने का आरोप
दलाई लामा को लेकर चीन का यह आरोप नया नहीं है. 1959 में, जब दलाई लामा ने चीन की दमनकारी नीतियों से बचने के लिए भारत में शरण ली थी, तब से चीन लगातार भारत पर तिब्बती अलगाववादियों को समर्थन देने का आरोप लगाता रहा है. इसके बाद, 1962 में भारत-चीन युद्ध और सीमा विवादों ने दोनों देशों के रिश्तों को और भी जटिल बना दिया था.
भारत सरकार ने हाल ही में दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर उन्हें शुभकामनाएं दीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में दलाई लामा को प्रेम, करुणा, धैर्य और नैतिक अनुशासन का प्रतीक बताया. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, राजीव रंजन सिंह और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू भी धर्मशाला में आयोजित समारोह में शामिल हुए.
पुनर्जन्म प्रणाली पर की गई टिप्पणी का विरोध
चीन ने इस घटना पर तीव्र प्रतिक्रिया देते हुए भारत से तिब्बत से जुड़े मामलों में संवेदनशीलता और सावधानी बरतने की अपील की है. उसने भारत को आगाह किया कि ऐसी घटनाएं द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए हानिकारक हो सकती हैं.
इसके साथ ही, चीनी दूतावास ने दलाई लामा द्वारा पुनर्जन्म प्रणाली पर की गई टिप्पणी का विरोध किया, और इसे चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप माना. उन्होंने यह भी कहा कि दलाई लामा को इस विषय पर कोई अधिकार नहीं है कि वह इस संस्था को जारी रखें या समाप्त करें.
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