चीन ने बनाया सैटेलाइट किलर लेजर क्रिस्टल हथियार, अंतरिक्ष युद्ध में होगा गेमचेंजर, जानें इसकी खासियत

    अंतरिक्ष में चल रही वैश्विक होड़ अब और भी खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई है.

    China created satellite killer laser crystal weapon
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ FreePik

    बीजिंग: अंतरिक्ष में चल रही वैश्विक होड़ अब और भी खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई है. चीन ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली ‘सैटेलाइट किलर’ लेजर क्रिस्टल के निर्माण का दावा किया है, जिसे वह एक निर्णायक गेमचेंजर मान रहा है. इस टेक्नोलॉजी का मकसद सीधे तौर पर अंतरिक्ष में अमेरिका जैसे देशों की ISR (इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनसेंस) क्षमताओं को निष्क्रिय करना है, यानी अमेरिका के उन उपग्रहों को "अंधा" कर देना, जिनके जरिए वह पूरी दुनिया की निगरानी करता है.

    साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी वैज्ञानिकों की एक टीम ने हेफेई इंस्टीट्यूट्स ऑफ फिजिकल साइंस में प्रोफेसर वू हैक्सिन के नेतृत्व में एक क्रांतिकारी सफलता हासिल की है. उन्होंने बेरियम गैलियम सेलेनाइड (BGSe) नामक एक क्रिस्टल विकसित किया है, जो न केवल अब तक के सबसे बड़े आकार (60 मिमी व्यास) में तैयार किया गया है, बल्कि यह लेजर तीव्रता को 550 मेगावाट प्रति वर्ग सेंटीमीटर तक सहने की क्षमता रखता है — जो अब तक के किसी भी ज्ञात लेजर क्रिस्टल से कहीं अधिक है.

    क्या है लेजर क्रिस्टल टेक्नोलॉजी और क्यों है खतरनाक?

    BGSe क्रिस्टल शॉर्ट-वेव इन्फ्रारेड किरणों को मिड और फॉर-इन्फ्रारेड में तब्दील करने में सक्षम है, जिसका अर्थ है कि यह न केवल बेहद तीव्र और लंबी दूरी तक असर डालने वाली लेजर बीम उत्पन्न कर सकता है, बल्कि इन्हें उन तरंगदैर्ध्यों में फोकस कर सकता है जिनसे सैटेलाइट के सेंसर्स को नष्ट या निष्क्रिय किया जा सकता है.

    यह तकनीक खास तौर पर अमेरिकी सैटेलाइट्स को निशाना बनाने के लिए डिजाइन की गई मानी जा रही है, जो पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) में सर्विलांस के लिए तैनात हैं. युद्ध के हालात में, यदि चीन इन सैटेलाइट्स को अंधा करने में सफल हो जाता है, तो वह जमीनी लड़ाई में बेहद महत्वपूर्ण बढ़त हासिल कर सकता है — क्योंकि उसके दुश्मन की रणनीतिक जानकारी तक पहुंच पूरी तरह बंद हो जाएगी.

    जमीन से अंतरिक्ष तक लेजर वॉरफेयर की तैयारी

    एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने अपने शिनजियांग प्रांत के दो प्रमुख ठिकानों- कोरला और बोहू पर ऐसे ग्राउंड-बेस्ड लेजर सिस्टम तैनात किए हैं जो सैटेलाइट्स पर सीधा निशाना साध सकते हैं. इन प्रणालियों का उद्देश्य दुश्मन के उपग्रहों को भटकाना, चकाचौंध करना या स्थायी रूप से निष्क्रिय करना है.

    अमेरिकी सेना और सुरक्षा एजेंसियों को इस बात की गंभीर चिंता है. अमेरिका के स्पेस फोर्स चीफ जनरल ब्रैडली साल्ट्जमैन ने हाल ही में यूएस-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि चीन की यह क्षमता अमेरिकी सेना को युद्ध के मैदान में अंधा और बहरा बना सकती है.

    अमेरिका के परमाणु चेतावनी सिस्टम खतरे में

    रिपोर्ट्स यह भी इशारा करती हैं कि चीन की योजना सिर्फ लो-अर्थ ऑर्बिट तक सीमित नहीं है. वह अब अपनी लेजर क्षमताओं को मीडियम ऑर्बिट और यहां तक कि जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट तक विस्तार देने की तैयारी में है — ये वही ऑर्बिट हैं जहां अमेरिका के महत्वपूर्ण GPS और SBIRS (Space-Based Infrared System) जैसे सैटेलाइट स्थित हैं.

    SBIRS प्रणाली अमेरिकी रक्षा ढांचे की रीढ़ है, क्योंकि इसके जरिए परमाणु मिसाइल हमलों की शुरुआती चेतावनी दी जाती है. अगर चीन इस पर हमला करता है या इसे निष्क्रिय करता है, तो यह वैश्विक परमाणु असंतुलन को जन्म दे सकता है.

    बहुस्तरीय युद्ध प्रणाली का निर्माण

    चीन की योजना सैटेलाइट को निशाना बनाने भर की नहीं है. वह एक संपूर्ण मल्टी-लेयर स्पेस डोमिनेंस सिस्टम बनाने की दिशा में अग्रसर है, जिसमें लेजर हथियार, साइबर अटैक, इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग, और एंटी-सैटेलाइट मिसाइलें शामिल हैं. इसका उद्देश्य युद्ध के पहले ही कुछ घंटों में दुश्मन की सभी सूचना-प्रणालियों को निष्क्रिय कर देना है.

    चीन के सैन्य रणनीतिकारों का मानना है कि भविष्य का युद्ध "इन्फॉर्मेशन डॉमिनेंस" यानी सूचना पर कब्जे से तय होगा और अगर उन्होंने दुश्मन की सैटेलाइट क्षमताओं को निष्क्रिय कर दिया, तो युद्ध बिना लड़े भी जीता जा सकता है.

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