भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए सैन्य तनाव ने न सिर्फ क्षेत्रीय सुरक्षा पर असर डाला है, बल्कि दुनियाभर की खुफिया एजेंसियों का फोकस भी भारत की ओर खींच लिया है. इस बार वजह सिर्फ भारत-पाक संघर्ष नहीं है, बल्कि उस संघर्ष में चीन की आधुनिक PL-15 एयर-टू-एयर मिसाइल का इस्तेमाल है.
6 से 10 मई के बीच जब पंजाब के होशियारपुर में ये तनाव चरम पर था, उसी दौरान पाकिस्तान ने चीन से प्राप्त J-10C और JF-17 फाइटर जेट्स से PL-15E मिसाइलें दागीं. भारतीय वायुसेना ने तगड़ी जवाबी कार्रवाई की और एक मिसाइल को हवा में ही मार गिराया. अब उसी मिसाइल के मलबे को लेकर फाइव आइज (Five Eyes) खुफिया गठबंधन—जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं—के साथ-साथ फ्रांस और जापान भी गहरी दिलचस्पी दिखा रहे हैं.
क्यों है इस मिसाइल का मलबा इतना अहम?
PL-15 को चीन की हवाई ताकत का प्रतीक माना जाता है. इसे अमेरिकी AIM-120D और यूरोपीय MBDA Meteor मिसाइलों के मुकाबले तैयार किया गया है. इसमें AESA (Active Electronically Scanned Array) रडार सीकर, टू-वे डेटा लिंक और डुअल-पल्स रॉकेट मोटर जैसी हाई-टेक तकनीकें लगी हैं.
इन उन्नत फीचर्स के चलते, अगर फाइव आइज देश और अन्य सहयोगी राष्ट्र इस मलबे का तकनीकी विश्लेषण कर पाते हैं, तो उन्हें चीन की गाइडेंस टेक्नोलॉजी, प्रपल्शन सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमताओं को समझने में अहम जानकारी मिल सकती है.
भारत के लिए बढ़ी रणनीतिक अहमियत
भारत अब सिर्फ एक युद्ध क्षेत्र नहीं बल्कि रणनीतिक जानकारी का स्रोत बन गया है. PL-15 मिसाइल का यह मलबा चीन की सैन्य तकनीक पर रोशनी डाल सकता है, जिससे अमेरिका, जापान और फ्रांस जैसे देशों को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन से निपटने की रणनीति तैयार करने में मदद मिलेगी. जापान और फाइव आइज के लिए यह मिसाइल उनके चीन-विरोधी सुरक्षा एजेंडे का हिस्सा है.
फ्रांस, जो भारत को राफेल फाइटर जेट्स बेचता है, इस मिसाइल का विश्लेषण करके यह जानना चाहता है कि उसके हथियार चीन निर्मित मिसाइलों के मुकाबले कहां खड़े हैं.
पाकिस्तान ने क्यों दागी PL-15E?
पाकिस्तान ने चीन द्वारा निर्मित PL-15E वर्जन का उपयोग किया, जिसकी अधिकतम रेंज लगभग 145 किलोमीटर है. यह मिसाइल खासतौर पर लंबी दूरी से लड़ाकू विमानों और हवाई चेतावनी प्रणालियों को निशाना बनाने के लिए बनाई गई है. इसका मूल (चीन के लिए घरेलू संस्करण) 200-300 किलोमीटर तक मार कर सकता है.
चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति पर नजर
यह मिसाइल चीन की एविएशन इंडस्ट्री कॉरपोरेशन (AVIC) द्वारा तैयार की गई है और इसकी तकनीक को लेकर पश्चिमी देश पहले से ही सतर्क हैं. अब जब इसका एक हकीकत में इस्तेमाल किया गया संस्करण भारत में गिरा है, तो इसे "टेक्नोलॉजिकल ट्रेजर" की तरह देखा जा रहा है.
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