भारत का दुश्मन तुर्की रच रहा नई साजिश! इस्लामाबाद में चीनी सेना के टॉप अधिकारी से एर्दोगन ने की मुलाकात

    पाकिस्तान ने हाल के महीनों में चीन और तुर्की के साथ अपने सैन्य संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं. इस संदर्भ में, मंगलवार को इस्लामाबाद में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स के चीफ ऑफ स्टाफ, लेफ्टिनेंट जनरल वांग गैंग ने पाकिस्तान के वायुसेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्धू से मुलाकात की.

    China and Turkey Visit Pakistan planning for war
    भारत का दुश्मन तुर्की रच रहा नई साजिश!

    पाकिस्तान ने हाल के महीनों में चीन और तुर्की के साथ अपने सैन्य संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं. इस संदर्भ में, मंगलवार को इस्लामाबाद में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स के चीफ ऑफ स्टाफ, लेफ्टिनेंट जनरल वांग गैंग ने पाकिस्तान के वायुसेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्धू से मुलाकात की. इसके तुरंत बाद, आज तुर्की के विदेश मंत्री हकन फिदान भी आधिकारिक यात्रा पर पाकिस्तान पहुंचे हैं. इन दो महत्वपूर्ण मुलाकातों से क्षेत्रीय सुरक्षा और पाकिस्तान की कूटनीतिक रणनीति पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं.

    चीन-पाकिस्तान सैन्य सहयोग

    चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ती सैन्य साझेदारी से क्षेत्रीय तनाव बढ़ने की आशंका है. लेफ्टिनेंट जनरल वांग गैंग और एयर चीफ मार्शल सिद्धू की मुलाकात में पाकिस्तान और चीन के आपसी हितों और सुरक्षा मामलों पर चर्चा की गई. खासकर, वायु शक्ति और परिचालन तालमेल में सहयोग बढ़ाने की बात हुई, जो दोनों देशों के सैन्य रिश्तों को और गहरा कर सकता है. पाकिस्तान की वायु सेना के पास चीन के फाइटर जेट्स भी हैं, जिनका उपयोग उसने भारत के खिलाफ संघर्षों में किया है.

    गैंग ने पाकिस्तान वायु सेना की क्षमताओं की सराहना करते हुए कहा कि पाकिस्तान और चीन के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं, जो आपसी विश्वास और रणनीतिक साझेदारी पर आधारित हैं. इस प्रकार, चीन पाकिस्तान को सैन्य और तकनीकी सहायता देने में सक्रिय रूप से शामिल है.

    तुर्की-पाकिस्तान सैन्य सहयोग

    इसके साथ ही, तुर्की के विदेश मंत्री हकन फिदान की यात्रा भी पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है. तुर्की और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग पहले भी रहा है, और तुर्की के ड्रोनों का इस्तेमाल पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ संघर्षों में किया था. इस बैठक में तुर्की और पाकिस्तान के रिश्तों को और मजबूत करने पर विचार किया जा सकता है.

    तुर्की का सैन्य समर्थन पाकिस्तान के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम है, क्योंकि दोनों देशों के बीच राजनीतिक और सैन्य सहयोग का इतिहास रहा है. इन दोनों मुलाकातों से यह स्पष्ट हो रहा है कि पाकिस्तान चीन और तुर्की के साथ अपने सैन्य संबंधों को और बढ़ाकर अपनी सुरक्षा और सैन्य ताकत को मजबूत करना चाहता है.

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद की स्थिति

    भारत और पाकिस्तान के बीच हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद, चीन और तुर्की ने पाकिस्तान को खुले तौर पर समर्थन दिया था. पाकिस्तान ने तुर्की के ड्रोनों का इस्तेमाल भारत पर हमले करने के लिए किया, वहीं चीन ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम से पाकिस्तान के जवाबी हमलों को रोकने में मदद की थी. हालांकि, दोनों देशों के बीच अब सीजफायर हो चुका है, लेकिन तुर्की और चीन के अधिकारियों की पाकिस्तान यात्रा से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि पाकिस्तान अपनी सैन्य ताकत को और बढ़ाने की दिशा में कदम उठा रहा है.

    भविष्य की दिशा

    इन घटनाक्रमों से यह स्पष्ट हो रहा है कि पाकिस्तान चीन और तुर्की के साथ अपने सैन्य संबंधों को और मजबूत करना चाहता है, ताकि क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के परिपेक्ष्य में वह अपनी स्थिति को और मजबूत कर सके. इन मुलाकातों के बाद, पाकिस्तान की सुरक्षा नीति और कूटनीतिक रणनीति पर गंभीर विचार करने की जरूरत है, क्योंकि यह भविष्य में क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए एक बड़ा सवाल बन सकता है.

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