Chhattisgarh News: भारत में पति-पत्नी के बीच तलाक के कई कानूनी आधार होते हैं. हाल ही में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक नया अहम फैसला सुनाया है, जिसने तलाक के आधारों में एक और नया जुड़ाव किया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि पति आर्थिक तंगी में हो, तो उसे बेरोजगार कहकर बार-बार ताना देना मानसिक क्रूरता माना जाएगा, जो तलाक की वजह बन सकती है.
क्या है पूरा मामला?
यह विवाद छत्तीसगढ़ के दुर्ग का है, जहां एक 52 वर्षीय वकील ने अपनी पत्नी के खिलाफ तलाक के लिए याचिका दायर की थी. पारिवारिक अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने इस फैसले को पलटते हुए पत्नी के खिलाफ फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि बिना वजह पति को बेरोजगार कहकर ताने देना और आर्थिक संकट के समय ऐसा व्यवहार करना ‘मानसिक क्रूरता’ के दायरे में आता है.
वैवाहिक जीवन की वास्तविकता और विवाद
पति-पत्नी की शादी 26 दिसंबर 1996 को हुई थी. दोनों के दो बच्चे हैं, एक बेटी और एक बेटा. पति ने पत्नी को पढ़ाई पूरी करने और करियर बनाने में पूरा सहयोग दिया था. लेकिन महामारी के दौरान आर्थिक स्थिति खराब होने पर पत्नी का व्यवहार बदल गया. छोटे-छोटे झगड़े बढ़ते गए, और अगस्त 2020 में पत्नी बेटी को लेकर घर छोड़कर चली गई. पति और बेटा उसे मनाने गए, लेकिन पत्नी वापस लौटने से इनकार कर दिया.
कोर्ट के फैसले में क्यों दी गई तलाक की मंजूरी?
कोर्ट ने माना कि पति-पत्नी का अलगाव 16 सितंबर 2020 से स्थायी हो गया है. पत्नी द्वारा सुनवाई में बार-बार गैरहाजिरी और आर्थिक संकट के दौरान ताने देना, दोनों ‘मानसिक क्रूरता’ और ‘परित्याग’ के अंतर्गत आते हैं. कोर्ट ने कहा, “लगातार ताने, अनुचित मांगें या मौखिक विवाद मानसिक क्रूरता के अंतर्गत आते हैं.” इसीलिए अदालत ने विवाह को ‘अपरिवर्तनीय रूप से टूट चुका’ मानते हुए तलाक की डिक्री जारी कर दी.
ये भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में BJP सरकार का कैबिनेट विस्तार, 3 विधायकों ने ली मंत्री पद की शपथ, जानें किसे मिला कौन-सा विभाग