सीजफायर एक बहाना, लक्ष्य है खामेनेई को निपटाना; सुप्रीम लीडर को 'बिल' से निकालने की साजिश रच रहे अमेरिका-इजरायल?

    ईरान और इज़रायल के बीच हाल ही में युद्धविराम की घोषणा ने भले ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय को थोड़ी राहत दी हो, लेकिन ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई की चिंता अभी भी खत्म नहीं हुई है.

    Ceasefire excuse to kill Khamenei US-Israel plotting against Supreme Leader
    ट्रंप-नेतन्याहू | Photo: ANI

    ईरान और इज़रायल के बीच हाल ही में युद्धविराम की घोषणा ने भले ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय को थोड़ी राहत दी हो, लेकिन ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई की चिंता अभी भी खत्म नहीं हुई है. ताजा जानकारी के अनुसार, खामेनेई इन दिनों अपने परिवार सहित एक अज्ञात बंकर में छिपे हुए हैं और सुरक्षा को लेकर इतने सतर्क हैं कि बंकर से बाहर आने का जोखिम भी नहीं उठा रहे.

    सूत्रों के मुताबिक, खामेनेई को आशंका है कि यह सीजफायर इज़रायल की कोई रणनीतिक चाल भी हो सकती है, जिसके जरिए उनकी हत्या की साजिश रची जा रही हो. इसी कारण वे युद्धविराम की घोषणा के बाद भी सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आए हैं और न ही अब तक कोई आधिकारिक बयान दिया है.

    कड़ी सुरक्षा, बिना संचार उपकरण वाली यूनिट

    खामेनेई जिस बंकर में मौजूद हैं, वहां उनकी सुरक्षा में ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड की एक विशेष यूनिट तैनात है. खास बात यह है कि इस यूनिट के पास कोई संचार उपकरण नहीं है, जिससे उनकी लोकेशन को ट्रेस करना संभव नहीं है. यह यूनिट इतनी गोपनीय है कि न तो इसकी संरचना सार्वजनिक है और न ही इसमें तैनात कर्मियों की जानकारी किसी खुफिया एजेंसी के पास उपलब्ध है.

    जब भी खामेनेई को कोई संदेश देना होता है, तो वह एक मध्यस्थ के जरिए बंकर के बाहर भेजा जाता है और फिर यह संदेश संबंधित यूनिट तक पहुंचाया जाता है. इसी प्रक्रिया से खामेनी के बयानों या निर्णयों को जनता तक पहुंचाया जाता है.

    उत्तराधिकारी की तैयारी शुरू

    लगातार मिल रही धमकियों के बीच खामेनेई ने अब अपने उत्तराधिकारी को लेकर भी तैयारियां शुरू कर दी हैं. बताया जा रहा है कि उन्होंने इस प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए हैं. उत्तराधिकारी की दौड़ में दो नाम सामने आ रहे हैं—एक हैं खामेनेई के बेटे मौलवी मोजतबा, जो लंबे समय से उनके साथ विभिन्न धार्मिक और राजनीतिक कार्यों में जुड़े रहे हैं. दूसरा नाम है ईरानी क्रांति के जनक अयातुल्लाह खुमैनी के पोते, हसन खुमैनी का. हसन को ईरान के वरिष्ठ धार्मिक नेताओं और रिवॉल्यूशनरी गार्ड के बीच एक प्रभावशाली चेहरा माना जाता है. हालांकि, ईरान की शासन प्रणाली वंशानुगत उत्तराधिकार को मान्यता नहीं देती, इसलिए अंतिम फैसला सर्वोच्च नेता और धार्मिक परिषद की सहमति से ही होगा.

    सवाल बरकरार है...

    सीजफायर के बावजूद खामेनेई की ओर से जारी यह सतर्कता यह संकेत देती है कि ईरान-इज़रायल संघर्ष अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है. यह भी संभव है कि यह सिर्फ एक अस्थायी विराम हो और किसी बड़ी रणनीति की भूमिका तैयार हो रही हो. जब तक खामेनेई खुद बाहर आकर शांति का भरोसा नहीं जताते, तब तक इस सीजफायर पर भी संदेह बना रहेगा.

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