Canada-China Relations: डिजिटल निगरानी और साइबर सुरक्षा के खतरे को गंभीरता से लेते हुए कनाडा सरकार ने चीन की एक प्रमुख तकनीकी कंपनी पर कड़ा कदम उठाया है. यह फैसला ऐसे वक्त पर आया है जब वैश्विक स्तर पर डेटा सुरक्षा और निगरानी से जुड़े उपकरणों को लेकर संवेदनशीलता बढ़ती जा रही है.
राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा मानते हुए लिया गया बड़ा फैसला
कनाडा की उद्योग मंत्री मेलोनी जोली ने शुक्रवार, 27 जून 2025 को घोषणा की कि सरकार ने हिकविजन (Hikvision) नामक चीनी कंपनी को देश में अपने सभी ऑपरेशंस बंद करने का आदेश दिया है. उन्होंने कहा कि खुफिया एजेंसियों से मिली रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ है कि हिकविजन की गतिविधियां कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती हैं. जोली ने बताया कि यह फैसला बिना किसी राजनयिक दबाव के, कनाडा की स्वतंत्र सुरक्षा नीति और डिजिटल संप्रभुता को सुरक्षित रखने के लिए लिया गया है.
My statement on Hikvision Canada Inc. following a national security review under the Investment Canada Act: pic.twitter.com/Gvl6aWRxyQ
— Mélanie Joly (@melaniejoly) June 28, 2025
पहले भी विवादों में रही है हिकविजन
हिकविजन सिर्फ कनाडा ही नहीं, बल्कि कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के रडार पर रही है. अमेरिका ने पहले ही इस कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया था. वहीं, यूरोपीय यूनियन में भी इसके उत्पादों को लेकर कई सवाल उठ चुके हैं. कंपनी पर आरोप है कि उसके सर्विलांस उपकरणों का इस्तेमाल चीन सरकार द्वारा उइगर मुस्लिमों की निगरानी और दमन, मानवाधिकार उल्लंघन तथा विभिन्न असहमति स्वरूपों को दबाने के लिए किया गया है. कनाडा का यह कदम इस संदर्भ में सिर्फ तकनीकी निर्णय नहीं, बल्कि एक राजनयिक संदेश भी माना जा रहा है.
क्या इससे चीन-कनाडा संबंधों में और बढ़ेगा तनाव?
पिछले कुछ वर्षों से चीन और कनाडा के बीच संबंध पहले ही तनावपूर्ण बने हुए हैं. चाहे वह हुवावे विवाद हो, कनाडाई नागरिकों की गिरफ्तारी, या हांगकांग को लेकर नीति हर मोर्चे पर दोनों देशों के बीच खटास नजर आई है. अब जब कनाडा ने हिकविजन पर यह प्रतिबंध लगाया है, विशेषज्ञों का मानना है कि बीजिंग तीखी प्रतिक्रिया दे सकता है. चीन इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित कार्रवाई करार दे सकता है और इसे ‘टेक्नोलॉजी पर राजनीति’ के रूप में प्रचारित कर सकता है. इस फैसले के प्रभाव सिर्फ टेक सेक्टर तक सीमित नहीं रहेंगे. यह व्यापार, कूटनीति और कनाडा के भीतर चीन समर्थक नेटवर्क्स की गतिविधियों पर भी असर डाल सकता है. सरकार के इस सख्त कदम से यह संकेत साफ है कि कनाडा अब अपनी डिजिटल सीमाओं की सुरक्षा को किसी भी कीमत पर समझौते का विषय नहीं बनने देगा.
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