ब्राजील में आयोजित होने जा रहे 17वें BRICS शिखर सम्मेलन को लेकर तैयारियां ज़ोरों पर हैं, लेकिन इससे पहले ही एक बड़ी खबर सामने आई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस बार शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे. कहा जा रहा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ब्राजील द्वारा दिए गए विशेष राजकीय भोज के निमंत्रण के चलते बीजिंग ने यह फैसला लिया है. हालांकि, चीन की ओर से इस पर कोई औपचारिक पुष्टि नहीं की गई है.
शी जिनपिंग की जगह ली क्विंग होंगे प्रतिनिधि
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग ने ब्राजील को सूचित किया है कि जिनपिंग अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण इस बार सम्मेलन में शिरकत नहीं करेंगे. उनकी जगह प्रधानमंत्री ली क्विंग, जो जिनपिंग के करीबी माने जाते हैं, चीन का प्रतिनिधित्व करेंगे. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि चीन और ब्राजील के राष्ट्राध्यक्ष बीते एक साल में दो बार आमने-सामने मिल चुके हैं, इसलिए यह भी जिनपिंग की अनुपस्थिति की एक संभावित वजह हो सकती है.
पीएम मोदी को मिला डिनर इनविटेशन, चीन हुआ असहज?
सूत्रों के अनुसार, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा ने पीएम नरेंद्र मोदी को राजकीय रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया है. माना जा रहा है कि इसी निमंत्रण के चलते चीन असहज हो गया और जिनपिंग ने समिट से दूरी बना ली. चीनी कूटनीतिक दृष्टिकोण से यह स्थिति जिनपिंग को एक "सपोर्टिंग एक्टर" की तरह दिखा सकती थी, जो कि बीजिंग को स्वीकार्य नहीं है.
चीनी विदेश मंत्रालय की चुप्पी
बीजिंग में बुधवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब जिनपिंग की संभावित अनुपस्थिति पर सवाल पूछा गया, तो चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने बस इतना कहा कि BRICS समिट में चीन की सहभागिता की जानकारी "उचित समय" पर दी जाएगी.
BRICS 2025: विस्तार के साथ नई चुनौतियां
6-7 जुलाई को होने वाला यह समिट कई मायनों में अहम है. ब्राजील इस बार ब्रिक्स के अध्यक्ष देश के रूप में इसकी मेजबानी कर रहा है. इस साल ब्रिक्स में नए सदस्य जैसे मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और यूएई को भी शामिल किया गया है, जिससे समूह की वैश्विक अहमियत और भी बढ़ गई है.
नज़र में रखिए यह सम्मेलन
यदि शी जिनपिंग वाकई इस बैठक से दूर रहते हैं, तो यह पिछले 10 वर्षों में पहली बार होगा कि वे BRICS समिट में नहीं दिखेंगे. इससे न केवल भारत-चीन रिश्तों पर, बल्कि ग्लोबल पावर बैलेंस पर भी असर पड़ सकता है.
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