नई दिल्ली/ब्रासीलिया/बीजिंग: भारत की रक्षा निर्यात नीति को उस वक्त झटका लगा जब ब्राजील ने भारतीय एलसीए तेजस फाइटर जेट और आकाश एयर डिफेंस सिस्टम को खरीदने से इनकार कर दिया. इस निर्णय में चीन को भी निराशा हाथ लगी, क्योंकि ब्राजील ने चाइनीज JF-17 फाइटर जेट और Sky Dragon-50 एयर डिफेंस सिस्टम को भी खारिज कर दिया है. ब्राजील का यह कदम यह स्पष्ट करता है कि आधुनिक हथियारों की खरीद-फरोख्त केवल तकनीक या मूल्य पर आधारित नहीं, बल्कि रणनीतिक भरोसे, सहयोग और दीर्घकालिक सामरिक संबंधों पर भी निर्भर करती है.
ब्राजील की प्राथमिकता: यूरोपीय सिस्टम
ब्राजील ने अब यूरोप की MBDA कंपनी के Enhanced Modular Air Defence Solutions (EMADS) सिस्टम को प्राथमिकता दी है. इस प्रणाली में CAMM-ER मिसाइलें शामिल हैं, जिनकी मारक क्षमता 40 किलोमीटर से अधिक बताई जा रही है, जबकि भारत के आकाश सिस्टम की रेंज 25-30 किलोमीटर है. रिपोर्ट के अनुसार, ब्राजील इस सौदे के लिए लगभग 92 करोड़ अमेरिकी डॉलर की बातचीत कर रहा है.
तेजस और JF-17 क्यों नहीं बने पहली पसंद?
ब्राजील ने स्पष्ट रूप से भारतीय तेजस और चीनी JF-17 जैसे हल्के लड़ाकू विमानों को खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. इससे पहले अर्जेंटीना ने भी इन दोनों जेट्स पर विचार के बावजूद अमेरिका से प्राप्त डेनमार्क के पुराने F-16 लड़ाकू विमानों को चुना था. इस चयन के पीछे रणनीतिक समीकरणों और अमेरिकी प्रभाव को मुख्य कारण माना गया.
ब्राजील के साथ मामला अलग था. अमेरिका के साथ संबंधों में उतार-चढ़ाव के बावजूद ब्राजील ने न तो चीन के सस्ते विकल्प को चुना, न ही भारत की स्वदेशी पेशकश को, बल्कि यूरोप की विश्वसनीय तकनीक को प्राथमिकता दी.
आकाश डिफेंस सिस्टम पर क्यों नहीं बना भरोसा?
भारत ने 2023 से ब्राजील को आकाश सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम (SAM) बेचने के लिए काफी प्रयास किए. डेमो प्रस्तुतियों, अधिकारियों के दौरे और परीक्षणों के बावजूद ब्राजील ने इसे “पुरानी तकनीक” वाला सिस्टम मानते हुए खारिज कर दिया.
ब्राजील की सैन्य आवश्यकताओं के अनुसार वह आकाश का नेक्स्ट-जेनरेशन वर्जन चाहता था, जो अधिक रेंज, बेहतर सटीकता और आधुनिक ट्रैकिंग क्षमताओं से लैस हो. लेकिन भारत की दो प्रमुख रक्षा कंपनियों — BDL और BEL — केवल पूरी तरह स्वदेशी सिस्टम बेचने पर जोर दे रही थीं. इन कंपनियों ने विदेशी तकनीक से संयुक्त रूप से विकसित वर्जन (जैसे इजरायली सहयोग वाला) शामिल करने से परहेज किया, जिससे सौदा आगे नहीं बढ़ सका.
भारत के लिए चुनौती: तकनीक बनाम ट्रस्ट
हाल के वर्षों में भारत ने तेजस, ध्रुव हेलीकॉप्टर और आकाश जैसी प्रणालियों को लैटिन अमेरिकी बाजारों में पेश किया है, लेकिन बड़ी सफलताएं हाथ नहीं लगीं.
इक्वाडोर ने इन्हें खरीदा जरूर, लेकिन कुछ दुर्घटनाओं के बाद HAL के साथ अनुबंध रद्द कर दिया गया.
क्या हैं आगे के सबक?
ब्राजील जैसे उभरते रक्षा बाजारों में प्रतिस्पर्धा अब केवल किफायती विकल्प पेश करने की नहीं है.
भारत की स्वदेशी रक्षा उत्पादन नीति (Make in India) सराहनीय है, लेकिन बाजार की मांगों के अनुसार लचीलापन, प्रौद्योगिकीय उन्नयन, और साझेदारी आधारित निर्यात मॉडल जरूरी हैं.
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