बलूचिस्तान अब सिर्फ एक "विद्रोही प्रांत" नहीं रहा- यह पाकिस्तान की सेना के लिए एक खुला युद्धक्षेत्र बन चुका है. सबसे डरावनी बात ये है कि अब इस जंग में निशाने पर सिर्फ आम जवान नहीं, बल्कि सीधे कमांड कर रहे मेजर रैंक के अफसर हैं. पिछले सात दिनों में तीन मेजर मारे गए हैं. वो भी सड़कों पर, खुलेआम. ये वही अफसर थे जो कभी ऑपरेशनों की योजना बनाते थे- अब खुद ऑपरेशन का शिकार बन रहे हैं.
ताज़ा हमला मस्तुंग में, टारगेट मेजर जियाद
मंगलवार को बलूचिस्तान के मस्तुंग इलाके में एक सुनियोजित हमला हुआ. मेजर जियाद एक टीम के साथ गश्त पर निकले थे, लेकिन रास्ते में उनकी गाड़ी पर घात लगाकर हमला किया गया. गोलीबारी इतनी तीव्र थी कि बचने का मौका तक नहीं मिला. बीएलए ने इस हमले की जिम्मेदारी ली और सोशल मीडिया पर मेजर की पहचान तक उजागर कर दी.
लेकिन ये अकेला मामला नहीं है. इससे पहले मेजर रब नवाज और मेजर अनवर काकर भी इसी तरह अलग-अलग इलाकों में मारे गए. यानी अब ये सिलसिला बन चुका है- एक पैटर्न जो साफ बताता है कि बलूच विद्रोहियों की रणनीति अब सिर्फ "लड़ाई" नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सेना की रीढ़ तोड़ने की है.
अब डराने नहीं, मारने आ रहे हैं
कुछ साल पहले तक बलूच लड़ाके छिपकर हमला करते थे. छोटे-छोटे ग्रेनेड फेंकते थे या सड़क किनारे बम रखते थे. लेकिन अब चीज़ें बदल गई हैं. अब वो खुलेआम फायरिंग कर रहे हैं, फौजी काफिलों पर हमला कर रहे हैं, और अफसरों को चुन-चुनकर निशाना बना रहे हैं.
ये कोई इत्तफाक नहीं कि मरने वाले सभी अफसर मेजर रैंक के हैं. इस रैंक के लोग सेना की "इंटरनल सिक्योरिटी" और "लिंक कम्युनिकेशन" का हिस्सा होते हैं, यानी अगर इन पर वार हो रहा है, तो सीधा हमला सेना की "कमांड एंड कंट्रोल" पर है.
पाकिस्तानी सेना की रणनीति फेल हो रही है
बीते कुछ महीनों से पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान में कई "क्लियरेंस ऑपरेशन्स" चलाए थे. गांवों में घुसकर छानबीन, संदिग्धों को उठाना, और कर्फ्यू जैसी स्थितियां बनाना, लेकिन अगर इसके बावजूद मेजर मारे जा रहे हैं, तो साफ है कि सेना के पास न जमीनी खुफिया नेटवर्क बचा है, न स्थायी दबदबा.
लोग पूछ रहे हैं कि जब अफसर महफूज नहीं, तो नीचे तैनात जवानों की हालत क्या होगी? या फिर उन आम बलूच नागरिकों की, जो हर दिन दोनों तरफ से दबाव झेलते हैं? अभी तक GHQ यानी सेना मुख्यालय ने इन हमलों पर चुप्पी साध रखी है, जबकि सोशल मीडिया पर सेना समर्थक बौखलाए हुए हैं.
ताहा सिद्दीकी ने पोस्ट कीं तस्वीरें, सोशल मीडिया पर मचा बवाल
पाकिस्तानी पत्रकार ताहा सिद्दीकी ने ट्विटर पर इन तीनों मारे गए अफसरों की तस्वीरें साझा कीं और बताया कि कहां-कहां इनको निशाना बनाया गया. उन्होंने लिखा: “एक और - पाकिस्तानी आर्मी का मेजर जियाद मस्तुंग में मारा गया, BLA ने जिम्मेदारी ली है.”
इन तस्वीरों ने आग में घी का काम किया. खासकर तब, जब पाकिस्तान सरकार अब भी बलूच विद्रोह को "विदेशी साजिश" बता रही है. पर अब सवाल उठता है - जब अफसरों की लाशें देश के अंदर गिर रही हैं, तो ‘बाहर’ को दोष देने से क्या बदलेगा?
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