बिहारः राजनीति सिर्फ चुनाव जीतने का खेल नहीं, एक संकल्प है—ऐसा ही कुछ संदेश लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने रविवार को राजगीर में आयोजित ‘बहुजन भीम संकल्प समागम’ के दौरान दिया. हजारों समर्थकों की मौजूदगी में चिराग ने न केवल भीड़ का उत्साह बढ़ाया, बल्कि आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी मंशा भी साफ कर दी.
"मैं बिहार से नहीं, बिहार के लिए लड़ रहा हूं"
चिराग पासवान का यह बयान जितना राजनीतिक था, उतना ही भावनात्मक भी. उन्होंने स्पष्ट किया कि वे किसी खास सीट से चुनाव लड़ने की बजाय पूरे बिहार के भविष्य को लेकर मैदान में हैं. उन्होंने कहा, “हम ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ के विजन के साथ चुनावी रण में उतरेंगे. हमारी पार्टी 243 विधानसभा सीटों पर जनता के बीच जाएगी.”
राजद और कांग्रेस पर तीखे हमले
अपने भाषण में चिराग पासवान ने विपक्षी दलों—खासतौर पर राजद और कांग्रेस—को आड़े हाथों लिया. उन्होंने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव में जनता को गुमराह करने की कोशिश की गई कि मोदी सरकार आने से लोकतंत्र खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा, “सच्चाई तो ये है कि लोकतंत्र की हत्या 1975 में कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर की थी.”
तेजस्वी यादव के वादों पर करारा तंज
राजद नेता तेजस्वी यादव के "20 महीने में 20 साल का काम" वाले दावे पर चिराग ने चुटकी ली. उन्होंने सवाल किया, “अगर आपको 20 महीने और दे भी दिए जाएं, तो क्या आप उन गरीबों को उनकी जमीन वापस करेंगे, जो आपने नौकरी के नाम पर छीन ली थी?”
बाबा साहेब के सम्मान का जिक्र, पिता रामविलास की विरासत याद की
चिराग ने अपने भाषण में डॉ. भीमराव अंबेडकर को लेकर अपनी पार्टी की प्रतिबद्धता जताई और कहा कि उनके पिता रामविलास पासवान ही वह शख्स थे, जिन्होंने 1979 में पहली बार संसद भवन में बाबा साहेब की तैलीय तस्वीर लगाने की पहल की थी. उन्होंने कहा, “उससे पहले संसद में एक ही परिवार की तीन-तीन तस्वीरें थीं, लेकिन अंबेडकर की नहीं.”
संविधान और आरक्षण की सुरक्षा का वादा
विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए चिराग ने भरोसा दिलाया कि जब तक वे राजनीति में हैं, संविधान और आरक्षण दोनों सुरक्षित हैं. उन्होंने कहा, “लोगों में डर फैलाना विपक्ष की राजनीति है, लेकिन हम भरोसे और विकास की राजनीति में यकीन रखते हैं.”
बिहार को पलायन से मुक्त करने का सपना
अपने जोशीले संबोधन के अंत में चिराग पासवान ने एक विजन साझा किया—एक ऐसा बिहार जहां कोई रोजगार के लिए बाहर न जाए. उन्होंने कहा, “मेरा सपना है कि हर बिहारी को अपने गांव और पंचायत में ही रोज़गार मिले. जब तक बिहार को विकसित राज्य नहीं बना देता, तब तक चैन से नहीं बैठूंगा.”
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