Asha And Mamta Workers: बिहार सरकार ने जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए एक अहम और सराहनीय फैसला लिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य की लाखों आशा और ममता कार्यकर्ताओं के लिए प्रोत्साहन राशि में उल्लेखनीय वृद्धि की घोषणा की है.
इस फैसले का लाभ सीधे तौर पर उन ग्रामीण परिवारों को मिलेगा, जिनकी सेहत की बागडोर इन्हीं कार्यकर्ताओं के हाथों में होती है. अब ना सिर्फ इन कर्मियों का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि स्वास्थ्य सेवाएं भी पहले से ज्यादा प्रभावशाली होंगी.
नवम्बर 2005 में सरकार बनने के बाद से हमलोगों ने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में आशा तथा ममता कार्यकर्ताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसे ध्यान में रखते हुए तथा ग्रामीण क्षेत्रों में…
— Nitish Kumar (@NitishKumar) July 30, 2025
सीएम ने ट्वीट कर दी जानकारी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट कर जानकारी दी कि 2005 से अब तक बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं में बदलाव लाने के लिए लगातार काम हुआ है. खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में आशा और ममता कार्यकर्ताओं की भूमिका को उन्होंने "रीढ़ की हड्डी" जैसा बताया. उन्होंने लिखा, "इन कार्यकर्ताओं के परिश्रम और सेवा भावना को सम्मान देने और उन्हें बेहतर काम के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मानदेय में वृद्धि का निर्णय लिया गया है."
क्या-क्या बदला?
आशा कार्यकर्ता:
पहले हर महीने ₹1,000 मिलते थे, अब ₹3,000 प्रति माह दिए जाएंगे.
ममता कार्यकर्ता:
प्रति सुरक्षित प्रसव पर मिलने वाली राशि ₹300 से बढ़ाकर ₹600 कर दी गई है.
गांव की सेहत का सीधा फायदा
इस फैसले से राज्य के ग्रामीण इलाकों में प्रसव, टीकाकरण, पोषण, महिला व शिशु स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में कार्यरत महिला कार्यकर्ताओं को और बेहतर काम करने की प्रेरणा मिलेगी. जहां एक ओर यह आर्थिक मदद उनकी व्यक्तिगत जिंदगी को सहारा देगी, वहीं दूसरी ओर उनके कार्य से ग्रामीण बिहार की सेहत को भी नई ऊर्जा मिलेगी.
सरकार का भरोसा, बदलाव दिखेगा ज़मीन पर
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भरोसा जताया कि इस निर्णय से आशा और ममता कार्यकर्ताओं का आत्मबल बढ़ेगा और गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं और अधिक मजबूत बनेंगी. यह कदम यह भी दर्शाता है कि सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे अहम कड़ी फील्ड लेवल वर्कर्स को नजरअंदाज नहीं कर रही है, बल्कि उन्हें सशक्त बना रही है.
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