Punjab News: पंजाब में किसानों के लगातार बढ़ते विरोध को देखते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने लैंड पूलिंग पॉलिसी को वापस लेने का फैसला किया है. इस संबंध में मुख्यमंत्री ने आधिकारिक तौर पर फाइल साइन कर दी है. पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इस पॉलिसी पर 10 सितंबर तक रोक लगा रखी थी, जिसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने के विकल्प पर विचार कर रही थी, लेकिन बिना राहत मिलने के चलते अंततः पॉलिसी को वापस लेना पड़ा.
पॉलिसी पर कोर्ट की रोक और सरकार की तैयारी
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने किसानों की याचिका पर इस योजना पर रोक लगा दी थी. पहले सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की योजना बना रही थी और कानूनी सलाहकारों से इस बारे में बातचीत भी की गई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने के बाद सरकार ने यह पॉलिसी वापस लेने का निर्णय लिया. इससे स्पष्ट होता है कि किसानों के विरोध और न्यायिक दबाव ने सरकार की नीति पर असर डाला है.
लैंड पूलिंग पॉलिसी क्या थी?
पिछले साल 2024 में पंजाब कैबिनेट ने इस पॉलिसी को मंजूरी दी थी, जिसका उद्देश्य था किसानों को फायदा पहुंचाना. जुलाई 2025 में किसानों के साथ बैठक कर इसमें संशोधन भी किए गए थे. योजना के तहत किसानों को प्लॉट का कब्जा देने के साथ-साथ सालाना एक लाख रुपये की राशि भी देने का प्रस्ताव था. सरकार का दावा था कि जमीन ज़बरदस्ती नहीं ली जाएगी और किसान अपनी मर्जी से ही भाग लेंगे.
किसान क्यों कर रहे थे विरोध?
किसान इस योजना को अपने हितों के खिलाफ मानते थे. उनका आरोप था कि यह योजना उनके हितों के विपरीत है और उनकी जमीनें छीनने का प्रयास है. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) सहित कई किसान संगठन और नेताओं ने इस पॉलिसी का पुरजोर विरोध किया. जगजीत डल्लेवाल और शिरोमणि अकाली दल ने भी किसानों को समर्थन देते हुए सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज करने का आह्वान किया था.
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