'नेशनल हेराल्ड की लूट' लिखा बैग लेकर संसद पहुंची बांसुरी स्वराज, ED की चार्जशीट के बाद गरमाया मामला

    संसद की सियासत अब सिर्फ भाषणों या नारेबाज़ी तक सीमित नहीं रही. अब बैग पॉलिटिक्स भी बड़ा हथियार बन चुकी है. ताज़ा मामला सामने आया है बांसुरी स्वराज का, जो मंगलवार को 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर हुई जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की बैठक में 'नेशनल हेराल्ड की लूट' लिखा बैग लेकर पहुंचीं.

    Bansuri Swaraj reached Parliament with a bag written National Herald looted the matter heated up after EDs charge sheet
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: ANI

    नई दिल्ली: संसद की सियासत अब सिर्फ भाषणों या नारेबाज़ी तक सीमित नहीं रही. अब बैग पॉलिटिक्स भी बड़ा हथियार बन चुकी है. ताज़ा मामला सामने आया है बांसुरी स्वराज का, जो मंगलवार को 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर हुई जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की बैठक में 'नेशनल हेराल्ड की लूट' लिखा बैग लेकर पहुंचीं. भाजपा सांसद और दिवंगत सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी ने सीधे तौर पर कांग्रेस पर निशाना साधा और इसे "मीडिया में भ्रष्टाचार का पहला उदाहरण" बताया.

    ED की चार्जशीट के बाद गरमाया मामला

    बता दें कि 15 अप्रैल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और सैम पित्रोदा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. अब 25 अप्रैल को इस केस की अगली सुनवाई होनी है. बांसुरी स्वराज का यह प्रतीकात्मक विरोध उसी को लेकर था.

    'बैग से विरोध' कोई नई बात नहीं

    गौरतलब है कि बैग पॉलिटिक्स की शुरुआत किसी और ने नहीं, बल्कि खुद प्रियंका गांधी वाड्रा ने की थी. 10 दिसंबर 2024 को वे PM मोदी और अडाणी पर बने कार्टून वाले बैग के साथ संसद में पहुंची थीं. इसी तरह 16 दिसंबर 2024 को वे 'फिलिस्तीन आज़ाद होगा' लिखे बैग के साथ दिखीं थीं, जिस पर शांति का प्रतीक कबूतर और तरबूज बना हुआ था.

    JPC अब 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर राय लेने के लिए 17 मई से महाराष्ट्र से राज्य दौरे की शुरुआत करने जा रही है. इसके बाद उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़ और पंजाब का भी दौरा तय है. JPC चेयरमैन पीपी चौधरी ने साफ कहा कि “समिति हर राज्य की राय लेगी, क्योंकि ये फैसला पूरे देश को प्रभावित करेगा.”

    संवैधानिक दिग्गजों की मौजूदगी

    मंगलवार की बैठक में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पूर्व जजों ने हिस्सा लिया. पूर्व जस्टिस हेमंत गुप्ता, एसएन झा, जस्टिस बीएस चौहान और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी जैसे दिग्गज कानूनी जानकारों ने अपने विचार साझा किए.

    'एक देश, एक चुनाव' के फायदे

    इससे पहले 25 मार्च को हुई बैठक में दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' की प्रशंसा करते हुए कहा था कि इससे शासन बेहतर होगा, चुनावी खर्च घटेगा और राजनीतिक पारदर्शिता बढ़ेगी. हालांकि उन्होंने इस बात की भी चिंता जताई थी कि इससे राज्यों की स्वतंत्रता, क्षेत्रीय मुद्दों की आवाज़ और संविधान संशोधन जैसी बाधाएं सामने आ सकती हैं.

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