भारत-पाकिस्तान जंग का फायदा उठाने की फिराक में बांग्लादेश, 'चिकन नेक' पर है मोहम्मद यूनुस की नजर

    भारत के लिए बांग्लादेश केवल एक पड़ोसी नहीं, बल्कि एक रणनीतिक साझेदार भी रहा है. परंतु हालिया घटनाएं देखकर यह अंदेशा गहराने लगा है कि बांग्लादेश की रणनीतिक दिशा में बड़ा बदलाव आ रहा है.

    Bangladesh is trying to take advantage of the India-Pakistan war
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    नई दिल्ली: जब भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले का जवाब देते हुए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में घुसकर आतंक के नौ अड्डों को तबाह किया, तो यह संदेश सिर्फ इस्लामाबाद को नहीं, बल्कि पूरे उपमहाद्वीप को दिया गया: भारत अब अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के लिए सीमाओं से परे जाकर कार्रवाई करने में हिचक नहीं करेगा.

    जहां एक ओर पाकिस्तान भारत की सैन्य प्रतिक्रिया से तिलमिलाया हुआ है और उसकी जवाबी कोशिशें भारतीय मिसाइल डिफेंस और ड्रोन-आधारित एकीकृत रक्षा प्रणालियों के सामने विफल हो चुकी हैं, वहीं दूसरी ओर एक और महत्वपूर्ण खतरा धीरे-धीरे आकार ले रहा है- बांग्लादेश की ओर से बढ़ती अस्थिरता और सामरिक अस्पष्टता.

    पूर्वी सीमा पर बनता नया मोर्चा

    भारत के लिए बांग्लादेश केवल एक पड़ोसी नहीं, बल्कि एक रणनीतिक साझेदार भी रहा है. वर्ष 1971 के युद्ध से लेकर हाल के वर्षों में सुरक्षा सहयोग तक, दोनों देशों के संबंध स्थिर और सहयोगात्मक रहे हैं. परंतु हालिया घटनाएं, विशेषकर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस के बयानों और सैन्य गतिविधियों को देखकर यह अंदेशा गहराने लगा है कि बांग्लादेश की रणनीतिक दिशा में बड़ा बदलाव आ रहा है.

    सिर्फ अभ्यास या छिपा हुआ संदेश?

    द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश वायुसेना द्वारा आयोजित अभ्यास "आकाश बिजय 2025" को आमतौर पर एक रूटीन सैन्य अभ्यास माना जा सकता था, लेकिन इसका समय और इसकी प्रकृति ने भारत के सुरक्षा हलकों में गंभीर चिंता उत्पन्न की है. जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर था, उसी समय बांग्लादेश ने लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर, ड्रोन और रेडार सिस्टम से युक्त एक बड़ा सैन्य अभ्यास किया. यह अभ्यास भारत की पूर्वी सीमा के बेहद करीब स्थित क्षेत्रों में हुआ.

    इस अभ्यास में यूनुस की उपस्थिति केवल प्रतीकात्मक नहीं थी, उन्होंने बयान भी दिया कि "हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहां युद्ध का खतरा हर पल बना रहता है, और तैयारी के बिना रहना आत्मघाती सिद्ध हो सकता है." यह कथन तब और अधिक चिंताजनक हो जाता है जब हम इस तथ्य को देखें कि यूनुस ने विशेष रूप से भारत-पाक तनाव का उल्लेख किया.

    सिलीगुड़ी कॉरिडोर की ओर बढ़ता खतरा

    बांग्लादेश द्वारा लालमुनीरहाट एयरबेस के आधुनिकीकरण पर जोर देना एक सामान्य सैन्य निर्णय की तरह लग सकता है, लेकिन इसके भू-रणनीतिक मायने बहुत गहरे हैं. यह एयरबेस सिलीगुड़ी कॉरिडोर से केवल 160 किलोमीटर की दूरी पर है. भारत का यह संकीर्ण भूभाग, जिसे "चिकन नेक" कहा जाता है, असम और उत्तर-पूर्वी भारत को शेष भारत से जोड़ने वाला एकमात्र ज़मीनी रास्ता है. इसकी चौड़ाई मात्र 21 किलोमीटर है, और यदि शत्रु इसे अवरुद्ध करता है, तो भारत की 7 पूर्वोत्तर राज्यों से संपर्क पूरी तरह कट सकता है.

    यूनुस इससे पहले चीन की यात्रा के दौरान भी इस कॉरिडोर का जिक्र कर चुके हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि बांग्लादेश इस संवेदनशील क्षेत्र के महत्व को रणनीतिक रूप से समझता है और इसका राजनीतिक उपयोग करने की सोच रखता है.

    बांग्लादेश में ISI की सक्रिय

    सबसे गंभीर संकेत इस बात से मिलते हैं कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने बांग्लादेश में दोबारा सक्रियता बढ़ाई है. जनवरी 2025 में ISI प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल असीम मलिक के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने ढाका का दौरा किया. इस टीम ने न केवल बांग्लादेश के सैन्य ठिकानों का निरीक्षण किया, बल्कि प्रमुख अधिकारियों से भी गुप्त बैठकें कीं.

    इन बैठकों के कुछ सप्ताह बाद ही बांग्लादेश के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी जनरल एसएम कमरुल हसन पाकिस्तान की यात्रा पर गए, जहाँ उन्होंने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री से मुलाकात की. इन बैठकों के दौरान बांग्लादेश ने पाकिस्तान द्वारा चीनी मदद से तैयार जेएफ-17 फाइटर जेट में रुचि दिखाई — एक ऐसा विमान जो वर्तमान भारत-पाक संघर्ष में पाकिस्तान द्वारा सक्रिय रूप से उपयोग किया गया है.

    दो मोर्चों पर युद्ध की आशंका

    यदि बांग्लादेश और पाकिस्तान की बढ़ती निकटता को चीन की आक्रामक नीति के साथ जोड़कर देखा जाए, तो भारत के समक्ष स्पष्ट रूप से एक त्रिकोणीय रणनीतिक चुनौती उभर रही है:

    • पश्चिम में पाकिस्तान की आतंकवादी रणनीति और पारंपरिक सैन्य आक्रोश
    • उत्तर में चीन की सीमा पर आक्रामक रवैया और LAC पर गतिरोध
    • पूर्व में बांग्लादेश की अनिश्चित और असमंजसपूर्ण रणनीति

    भारत को इस त्रिकोणीय दबाव का सामना न केवल सैन्य स्तर पर, बल्कि कूटनीतिक और खुफिया स्तर पर भी मजबूती से करना होगा.

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