भारत की इस मिसाइल को देख सूख जाएगा पाकिस्तान और चीन का गला! ऐसे एडवांस हथियार पर हो रहा काम

    Astra MKII: भारत की स्वदेशी मिसाइल निर्माण क्षमता ने एक और अहम उपलब्धि की ओर कदम बढ़ा लिया है. अत्याधुनिक Astra MkII एयर-टू-एयर मिसाइल अब अपने अंतिम परीक्षण चरण में पहुंच चुकी है और जल्द ही इसका उपयोगकर्ता परीक्षण भारतीय वायुसेना द्वारा शुरू किया जाएगा.

    Astra MKII Soon will ready testing start
    Image Source: Social Media

    Astra MKII: भारत की स्वदेशी मिसाइल निर्माण क्षमता ने एक और अहम उपलब्धि की ओर कदम बढ़ा लिया है. अत्याधुनिक Astra MkII एयर-टू-एयर मिसाइल अब अपने अंतिम परीक्षण चरण में पहुंच चुकी है और जल्द ही इसका उपयोगकर्ता परीक्षण भारतीय वायुसेना द्वारा शुरू किया जाएगा. रक्षा विशेषज्ञ इसे भारत के लिए एक रणनीतिक गेमचेंजर मान रहे हैं, जो न केवल वायुसेना की मारक क्षमता को नई ऊंचाई देगा, बल्कि विदेशी हथियारों पर निर्भरता भी कम करेगा.

    गहन परीक्षणों के बाद अब लाइव फायरिंग की तैयारी

    अब तक Astra MkII ने कई प्रकार के सफल तकनीकी परीक्षण पार कर लिए हैं, जिनमें कैप्टिव फ्लाइट टेस्ट, मिसाइल सेपरेशन, ड्यूल-पल्स मोटर टेस्ट और गाइडेंस सिस्टम की जांच शामिल हैं. अब इसे ड्रोन लक्ष्यों के खिलाफ लाइव फायरिंग ट्रायल के लिए तैयार किया जा रहा है, जो इसकी अंतिम परीक्षा होगी. इन परीक्षणों के बाद इसे वायुसेना के अग्रिम पंक्ति के फाइटर जेट्स—Su-30MKI, राफेल, तेजस MkIA/MkII और भविष्य के AMCA में शामिल किया जाएगा.

    ये विमान होंगे Astra MkII से लैस

    तेजस MkIA/MkII: भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) प्रोग्राम के तहत विकसित तेजस, आधुनिक एवियोनिक्स, अपग्रेडेड रडार और हथियार क्षमता से लैस है. MkII संस्करण और भी उन्नत तकनीकों के साथ आ रहा है, जो Astra MkII को प्रभावी ढंग से संचालित कर सकेगा.

    Su-30MKI: भारतीय वायुसेना का मुख्य लड़ाकू विमान Su-30MKI रूस और भारत की संयुक्त परियोजना है. इसकी लंबी रेंज, शक्तिशाली रडार और सुपीरियर थ्रस्ट वेक्टरिंग टेक्नोलॉजी इसे किसी भी मिसाइल को लॉन्च करने में सक्षम बनाती है.

    राफेल: फ्रांस निर्मित यह मल्टी-रोल फाइटर अपनी स्टील्थ क्षमताओं और उन्नत हथियार प्रणालियों के लिए जाना जाता है. राफेल के साथ Astra MkII का इंटीग्रेशन भारत की स्ट्राइक रेंज और वायु श्रेष्ठता को और बढ़ाएगा.

    AMCA: भारत का पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर प्रोजेक्ट AMCA, 2030 तक वायुसेना में शामिल होने की उम्मीद है. Astra MkII जैसी मिसाइलें इसके लिए मूलभूत हथियार प्रणाली का हिस्सा होंगी.

    Astra MkII बनाम विदेशी मिसाइलें

    Astra MkII को अमेरिका की AIM-120D AMRAAM और यूरोप की Meteor जैसी आधुनिक मिसाइलों की श्रेणी में रखा जा रहा है. इसकी 160 किलोमीटर से अधिक की रेंज, और ड्यूल-पल्स मोटर इसे लंबी दूरी से भी टारगेट को सटीकता से भेदने में सक्षम बनाती है. प्रमुख तकनीकी खूबियां जो बनाती हैं इसे बेहद खास.

    Dual-Pulse Solid Rocket Motor

    इस तकनीक में दो स्टेज की प्रोपल्शन यूनिट होती है. पहला स्टेज तेज लॉन्चिंग देता है और दूसरा स्टेज टारगेट तक उच्च गति और नियंत्रण के साथ पहुंचाता है. इससे मिसाइल की रेंज और सटीकता दोनों बढ़ जाती हैं.

    Active Radar Homing Seeker

    यह प्रणाली मिसाइल को अपने लक्ष्य पर अंत तक लॉक रखने में मदद करती है, और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग से भी बचाती है.

    ECCM और Infrared Resistance

    Astra MkII में उन्नत Electronic Counter-Counter Measures (ECCM) प्रणाली है, जो दुश्मन के जैमिंग प्रयासों को निष्प्रभावी करती है. साथ ही यह इन्फ्रारेड इंटरफेरेंस से भी अप्रभावित रहती है.

    स्मार्ट डिजिटल कंट्रोल सिस्टम

    एकीकृत डिजिटल फायर कंट्रोल और फ्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए यह मिसाइल उड़ान के दौरान अपने रास्ते को खुद ऑप्टिमाइज़ करती है, और तेजी से निर्णय लेकर लक्ष्य भेदन में सफलता हासिल करती है.

    राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम

    Astra MkII का स्वदेशी विकास DRDO और भारत के निजी औद्योगिक क्षेत्र की तकनीकी प्रगति को दर्शाता है. यह मिसाइल न केवल भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ाएगी, बल्कि भारत को ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य की ओर एक और बड़ा कदम भी प्रदान करेगी.

    यह भी पढ़ें: ऑपरेशन सिंदूर के बाद रक्षा क्षेत्र में बड़े फैसलों की तैयारी, सेना को मिल सकती है नई तकनीक और ताकत