Rajnath Singh DAC Meeting 2025: भारत की सैन्य क्षमताएं एक बार फिर नए मोड़ पर खड़ी हैं. ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद अब सरकार उस दिशा में और ठोस कदम उठाने जा रही है, जिससे तीनों सेनाओं थलसेना, वायुसेना और नौसेना को और अधिक घातक, आधुनिक और प्रतिक्रिया में तेज़ बनाया जा सके. इसी क्रम में इस सप्ताह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है, जिसमें करीब 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के रक्षा सौदों को मंजूरी मिल सकती है.
यह बैठक इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि इसमें ऐसे प्रस्ताव रखे गए हैं जो न सिर्फ देश की सुरक्षा के नजरिए से रणनीतिक हैं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत अभियान और घरेलू रक्षा उद्योग को भी बड़ा प्रोत्साहन देंगे.
तीनों सेनाओं के लिए होंगे बड़े फैसले
रक्षा सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में थलसेना के लिए क्विक रिएक्शन एयर डिफेंस सिस्टम (QRSAM), वायुसेना के लिए I-STAR विमान और नौसेना के लिए अंडरवॉटर माइन व ड्रोन्स जैसे कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी.
थलसेना को मिलेगा त्वरित प्रतिक्रिया वाला एयर डिफेंस सिस्टम
भारतीय सेना को अत्याधुनिक QRSAM सिस्टम मिलने की संभावना है. DRDO द्वारा विकसित यह सिस्टम 30 किलोमीटर तक की रेंज में आने वाले किसी भी हवाई खतरे को तत्काल नष्ट करने में सक्षम है. इसकी अनुमानित लागत लगभग 30,000 करोड़ रुपये है और यह भारत की बहुस्तरीय वायु रक्षा क्षमता को और सशक्त बनाएगा.
I-STAR विमान देंगे दुश्मन पर बढ़त
भारतीय वायुसेना के लिए तीन उन्नत I-STAR (इंटेलिजेंस, सर्विलांस, टारगेटिंग और रिकनैसेंस) विमान खरीदे जाएंगे. ये विमान आधुनिक युद्ध की बदलती ज़रूरतों के अनुसार डिज़ाइन किए जाएंगे और भारत में ही DRDO तथा निजी कंपनियों के सहयोग से मॉडिफाई होंगे. इनकी मदद से युद्ध क्षेत्र में दुश्मन की गतिविधियों पर पैनी निगरानी रखी जा सकेगी.
नौसेना के लिए Sea Mines और अंडरवॉटर ड्रोन
भारतीय नौसेना को अब समुद्र में दुश्मन की हरकतों पर कड़ा प्रहार करने के लिए नई पीढ़ी की ‘Sea Mines’ मिल सकती हैं, जिन्हें DRDO ने डिजाइन किया है. इसके अलावा, नौसेना बिना पायलट वाले अंडरवॉटर ड्रोन भी अपने बेड़े में शामिल करने की योजना बना रही है. ये ड्रोन समुद्री सीमा में निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने में मददगार साबित होंगे.
सुखोई-30MKI होंगे और ज्यादा घातक
भारतीय वायुसेना के पास मौजूद 84 सुखोई-30MKI फाइटर जेट्स को अपग्रेड किया जाएगा. इसमें उन्नत रडार, हथियार प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर तकनीक शामिल की जाएगी ताकि ये विमान भविष्य की किसी भी बड़ी सैन्य चुनौती का मुकाबला और अधिक प्रभावी ढंग से कर सकें.
क्या है DAC की भूमिका?
रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) रक्षा मंत्रालय की सबसे अहम इकाई है, जो सेना के लिए हथियार, मिसाइलें, विमान, और अन्य रणनीतिक उपकरणों की खरीद से जुड़ा अंतिम फैसला लेती है. इस परिषद की मंजूरी के बाद ही रक्षा सौदे को मूर्त रूप दिया जाता है.
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