पश्चिम एशिया में एक बार फिर सामरिक संतुलन बदलने वाला है. अमेरिकी सेना जल्द ही सीरिया में अपनी सैन्य उपस्थिति में कटौती करने जा रही है, जिससे वहां तैनात लगभग 2,000 अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटकर आधी हो सकती है. यह जानकारी पेंटागन के मुख्य प्रवक्ता सीन पार्नेल ने शुक्रवार को दी. वर्षों से इस्लामिक स्टेट (ISIS) के खतरे को नियंत्रण में रखने के लिए अमेरिका की यह उपस्थिति निर्णायक मानी जाती रही है, लेकिन अब रणनीतिक प्राथमिकताओं में बदलाव दिख रहा है.
सीरिया में अमेरिकी सैनिकों की ज्यादातर तैनाती देश के पूर्वोत्तर हिस्से में है, जहां वे स्थानीय सुरक्षाबलों के साथ मिलकर ISIS के बचे-खुचे अड्डों पर निगरानी और दबाव बनाए रखने का काम कर रहे हैं. पार्नेल ने बताया कि यह बदलाव एक "शर्तों पर आधारित" प्रक्रिया है, जो धीरे-धीरे सीरिया में अमेरिकी सैनिकों की संख्या को 1,000 से भी कम कर देगी.
इस्लामिक स्टेट के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी
रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने 'ऑपरेशन इनहेरेंट रिज़ॉल्व' के तहत कुछ ठिकानों के विलय और पुनर्गठन के आदेश दिए हैं. हालांकि पेंटागन ने यह भी स्पष्ट किया है कि अमेरिकी सेंट्रल कमांड इस्लामिक स्टेट के खिलाफ कार्रवाई जारी रखेगा और किसी भी आतंकवादी खतरे के जवाब में अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ मिलकर कार्य करता रहेगा.
इस बीच, अमेरिका ने हाल ही में क्षेत्रीय दबाव और सुरक्षा संतुलन को बनाए रखने के लिए B-2 बमवर्षक, युद्धपोत और वायु रक्षा प्रणाली जैसी उन्नत सैन्य संपत्तियां मध्य पूर्व में तैनात की हैं.
ट्रंप प्रशासन ने ईरान पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी है, यह आरोप लगाते हुए कि तेहरान जानबूझकर परमाणु समझौते में देरी कर रहा है. उन्होंने ईरान को चेतावनी दी है कि यदि उसने परमाणु हथियार कार्यक्रम को नहीं रोका, तो उसे सैन्य हमले का सामना करना पड़ सकता है.
सीरिया के भीतर भी राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे
दूसरी ओर, सीरिया के भीतर भी राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं. दिसंबर में राष्ट्रपति बशर अल-असद के सत्ता से हटने के बाद वहां एक इस्लामवादी नेतृत्व वाली सरकार काबिज हुई है, जिसे तुर्की का समर्थन प्राप्त है. जबकि अमेरिका सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज (SDF) का समर्थन करता रहा है, जिसे तुर्की लंबे समय से एक खतरे के रूप में देखता है. नतीजतन, तुर्की ने अब नई सरकार पर दबाव डालते हुए SDF के खिलाफ सैन्य अभियान और तेज कर दिए हैं.
अमेरिकी सैन्य उपस्थिति में यह कटौती ऐसे समय पर हो रही है, जब सीरिया में पहले से ही अमेरिका और तुर्की के हित टकरा रहे हैं. ऐसे में यह फैसला न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरण को प्रभावित करेगा, बल्कि इससे सीरिया में अमेरिका की रणनीतिक पकड़ भी कमजोर हो सकती है.
ये भी पढ़ेंः ड्रोन, मिसाइल लॉन्चर पोत, बख्तरबंद वाहन... आखिर मुइज्जू का प्लान क्या है, किसके खिलाफ छेड़ेंगे युद्ध?