दक्षिण एशियाई महासागरीय क्षेत्र में सामरिक संतुलन धीरे-धीरे बदल रहा है, और इसका ताज़ा संकेत मालदीव की हालिया सैन्य गतिविधियों से मिलता है. रक्षा मामलों पर नज़र रखने वाले विश्लेषकों की निगाहें तब चौंकीं जब हुलहुले द्वीप पर संयुक्त अरब अमीरात से लाए गए अजबान 442ए बख्तरबंद सैन्य वाहनों को उतरते हुए देखा गया. इस सौदे को लेकर मालदीव सरकार की ओर से कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह एक गोपनीय रक्षा खरीद थी.
जानकारी के अनुसार, ये सैन्य वाहन मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (MNDF) के लिए मंगवाए गए हैं. इन बख्तरबंद वाहनों को पहले यूएई से श्रीलंका पहुंचाया गया और फिर 9 अप्रैल को 'मालदीव स्टेट शिपिंग' के जरिए मालदीव भेजा गया. राजधानी माले पहुंचने से पहले इन वाहनों को हुलहुले स्थित MNDF मुख्यालय में रखा गया था. सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो में इन पांच सैन्य वाहनों को सिनामाले ब्रिज पार करते देखा गया, जिसने लोगों का ध्यान खींचा.
MNDF की 133वीं वर्षगांठ परेड के दौरान पहली बार प्रदर्शन
इन बख्तरबंद गाड़ियों को आधिकारिक रूप से माले में आयोजित MNDF की 133वीं वर्षगांठ परेड के दौरान पहली बार प्रदर्शित किया गया. 'अजबान 442ए' वाहनों का निर्माण यूएई की सरकारी स्वामित्व वाली रक्षा कंपनी EDGE ग्रुप द्वारा किया गया है. यह ग्रुप 2019 में स्थापित किया गया था और इसमें 25 से अधिक रक्षा एवं तकनीकी कंपनियां शामिल हैं, जो अत्याधुनिक सैन्य प्रणालियों के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं.
मालदीव में पहुंचाए गए इन वाहनों में मूल मॉडल की तुलना में कई रणनीतिक बदलाव किए गए हैं, जिनमें रिमोट वेपन स्टेशन, अतिरिक्त कवच प्लेट्स, छत पर हथियार लोडिंग हैच और उन्नत हथियार प्रणाली शामिल हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, इन संशोधनों के बाद प्रत्येक वाहन की कीमत लगभग 700,000 अमेरिकी डॉलर आंकी गई है. कुल पांच बख्तरबंद वाहन मंगवाए गए हैं, जिनकी कुल लागत अनुमानतः 54 मिलियन एमवीआर (मालदीवियन रूफिया) बताई जा रही है.
मालदीव सरकार की ओर से कोई स्पष्ट बयान नहीं
इससे पहले मालदीव ने तुर्की से भी रक्षा सहयोग की दिशा में कई कदम उठाए थे. तुर्की ने एक मिसाइल लॉन्चर पोत मालदीव को दान किया था और दो साल पहले बायरकटर TB2 ड्रोन की खरीद 37 मिलियन डॉलर में की गई थी. इन सभी सैन्य गतिविधियों में तेजी राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के कार्यकाल के दौरान आई है, जिनकी विदेश नीति भारत के साथ परंपरागत सामरिक समीकरणों से थोड़ा हटकर नजर आ रही है.
इस रक्षा खरीद को लेकर अभी तक मालदीव सरकार की ओर से कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया गया है कि ये गाड़ियां मुफ्त में मिली हैं या इसके लिए किसी बजटीय व्यवस्था का सहारा लिया गया है. हालांकि यह स्पष्ट है कि यह सौदा मालदीव के सैन्य ढांचे को आधुनिक रूप देने और बाहरी सुरक्षा खतरों से निपटने की एक बड़ी तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है.