'आपके देश में 1.4 अरब लोग, फिर हमारा मक्का क्यों नहीं खरीदते...' अमेरिका की भारत को नई गीदड़भभकी

    दोनों देशों के बीच लंबे समय से टैरिफ (शुल्क) को लेकर मतभेद चल रहे हैं, और अब इस मुद्दे पर अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भारत के खिलाफ तीखी टिप्पणी की है.

    America threatens India over maize purchase
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    वॉशिंगटन/नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ते एक बार फिर सुर्खियों में हैं. दोनों देशों के बीच लंबे समय से टैरिफ (शुल्क) को लेकर मतभेद चल रहे हैं, और अब इस मुद्दे पर अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भारत के खिलाफ तीखी टिप्पणी की है. अमेरिकी वाणिज्य विभाग के सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने हाल ही में एक साक्षात्कार में भारत को मक्का न खरीदने पर आड़े हाथों लिया और अप्रत्यक्ष रूप से यह चेतावनी दी कि अगर भारत को अमेरिका के साथ व्यापार करना है, तो उसे अपने टैक्स और टैरिफ की नीतियों पर पुनर्विचार करना होगा.

    भारत हमारे मक्का की अनदेखी करता है- लुटनिक

    अपने इंटरव्यू में हॉवर्ड लुटनिक ने अमेरिका की नाराजगी खुलकर जाहिर की. उन्होंने कहा, "भारत गर्व से कहता है कि उसके पास 1.4 अरब की आबादी है. अगर ऐसा है, तो वो हमारे देश से एक बुशल मक्का (लगभग 35 किलो) भी क्यों नहीं खरीदते? क्या यह अन्याय नहीं है कि वे हमसे सब कुछ बेच लेते हैं, लेकिन जब हमारी बारी आती है, तो उनके दरवाजे बंद हो जाते हैं?"

    लुटनिक का कहना है कि अमेरिका भारत को कृषि उत्पाद, टेक्नोलॉजी, दवाइयां और अन्य सेवाएं देता है, लेकिन भारत की ओर से बराबरी का व्यवहार नहीं होता. उनका कहना है कि भारत अपने बाजार में विदेशी वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगाकर अमेरिकी व्यापार को नुकसान पहुंचा रहा है.

    टैरिफ की जंग: अमेरिका बनाम भारत

    अमेरिका और भारत के बीच आयात-निर्यात शुल्क को लेकर खींचतान कोई नई बात नहीं है. दोनों देशों ने एक-दूसरे की वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाए हैं. अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि भारत द्वारा अमेरिकी सामानों पर अत्यधिक टैक्स लगाया जाता है, जबकि भारत का पक्ष यह है कि वह अपने घरेलू उत्पादकों और किसानों की सुरक्षा के लिए ऐसा करता है.

    वर्तमान में अमेरिका ने भारत से आने वाले कई सामानों पर कुल मिलाकर 50% टैरिफ लगा रखा है, जिसमें से:

    • 25% शुल्क इसलिए लगाया गया है क्योंकि भारत ने अमेरिकी वस्तुओं पर उच्च शुल्क लगाया.
    • 25% शुल्क रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर लगाया गया है.

    ट्रंप मॉडल: व्यापार में "बराबरी" की मांग

    हॉवर्ड लुटनिक ने अपने बयान में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीति को दोहराया. उन्होंने कहा कि ट्रंप का मॉडल सीधा है, "जैसा व्यवहार हमें मिलता है, वैसा ही हम भी करेंगे."

    उन्होंने कहा, "हम दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं. अगर कोई देश हमें सामान बेचता है, तो उसे भी हमारे सामान को स्वीकार करना होगा. जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक टैरिफ जैसे कदम उठाए जाएंगे."

    लुटनिक का मानना है कि अमेरिका को अब "न्यायसंगत व्यापार" चाहिए, जहां दोनों पक्षों को बराबर का लाभ हो. उनका यह भी कहना था कि भारत को अपनी टैरिफ नीति पर पुनर्विचार करना होगा, वरना भविष्य में व्यापार करना मुश्किल हो सकता है.

    भारत की स्थिति क्या है?

    भारत की ओर से अभी इस विशेष बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अतीत में भारत सरकार ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि वह अमेरिका समेत सभी देशों के साथ 'न्यायसंगत और संतुलित व्यापार' चाहती है. भारत का तर्क है कि विकसित देशों की तुलना में उसकी आर्थिक संरचना अलग है और वह अपनी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना चाहता है.

    भारत का यह भी कहना है कि वह कई अमेरिकी उत्पादों का बड़ा बाजार है, जैसे:

    • अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनियों को भारत से भारी राजस्व मिलता है.
    • अमेरिका की फार्मास्युटिकल और हेल्थ कंपनियों को भारत में बड़ा ग्राहक आधार मिला है.
    • भारत अमेरिका के लिए एक बड़ा IT और सर्विस हब भी है.

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