क्या अमेरिका और रूस अब आमने-सामने हैं? ईरान-इजराइल युद्ध में सुपरपावर की एंट्री से दुनिया में हड़कंप

    रूस के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान में सिक्योरिटी काउंसिल के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने हाल ही में एक सनसनीखेज दावा किया कि “कई देश ईरान को परमाणु हथियार देने को तैयार हैं.”

    America Russia face to face Iran-Israel war
    ट्रंप-पुतिन | Photo: ANI

    मिडिल ईस्ट में चल रही ईरान-इज़राइल जंग अब सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं रही. हाल की घटनाएं साफ इशारा कर रही हैं कि अब अमेरिका और रूस भी इस टकराव में सक्रिय हो चुके हैं — और ये किसी बड़े वैश्विक संकट की शुरुआत हो सकती है.

    मेदवेदेव के बयान से मचा बवाल

    रूस के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान में सिक्योरिटी काउंसिल के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने हाल ही में एक सनसनीखेज दावा किया कि “कई देश ईरान को परमाणु हथियार देने को तैयार हैं.” इसी बयान के बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का गुस्सा भड़क उठा.

    ट्रंप की चेतावनी: "N-शब्द को हल्के में न लें"

    ट्रंप ने मेदवेदेव के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि अगर यह बात सही है, तो यह बेहद गंभीर मामला है. ट्रंप ने सीधे रूस को चेतावनी देते हुए कहा कि “रूस को हमारे न्यूक्लियर सबमरीन की ताकत का अंदाजा है.” उन्होंने यह भी दावा किया कि अमेरिका के पास अब तक के सबसे खतरनाक हथियार हैं, और हाल में 30 टॉमहॉक मिसाइलें बिना चूके अपने टारगेट पर लगीं.

    पुतिन का बयान और हाइपरसोनिक मिसाइल की धमक

    इस घटनाक्रम से कुछ ही समय पहले, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची रूस पहुंचे थे और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिले थे. पुतिन ने अमेरिका के हमले को ‘बिना उकसावे के किया गया’ हमला बताया और कहा कि यह न्यायोचित नहीं है. साथ ही उन्होंने ऐलान किया कि रूस अपनी हाइपरसोनिक मध्यम दूरी की मिसाइलों का उत्पादन तेज करेगा. यह बयान सीधे तौर पर अमेरिका को संदेश देने के रूप में देखा जा रहा है.

    कतर पर अटैक: अमेरिका को जवाब या रूस की शह?

    पुतिन के बयान और समर्थन के कुछ ही घंटों बाद ईरान ने कतर में अमेरिकी एयरबेस पर हमला कर दिया. माना जा रहा है कि यह रूस से मिले परोक्ष समर्थन का परिणाम था. ईरान ने इस अटैक के जरिए अमेरिका को सीधा जवाब देने की हिम्मत दिखाई.

    मेदवेदेव ने दी सफाई

    मामले ने जब तूल पकड़ा तो मेदवेदेव को सफाई देनी पड़ी. उन्होंने कहा कि, “मैंने बस यह कहा था कि अन्य देश ऐसा कर सकते हैं — रूस का ईरान को परमाणु हथियार देने का कोई इरादा नहीं है.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि रूस NPT (परमाणु अप्रसार संधि) का सदस्य है और उसका पालन करता है.

    क्या टकराव से बचा जा सकता है?

    मेदवेदेव ने एक और अहम बात कही कि, “हमें यह बहस बिल्कुल नहीं करनी चाहिए कि किसके पास ज्यादा परमाणु हथियार हैं.” लेकिन ट्रंप की तीखी भाषा और रूस की मिसाइल उत्पादन की योजना से यह साफ है कि दोनों देशों के बीच तनाव अब सतह पर आ चुका है.

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