ईरान-कतर टकराव के बाद सऊदी की बदली जुबान, तेहरान पर भड़का; फिर अमेरिका पर खामोशी क्यों?

    हमले के तुरंत बाद कतर और सऊदी अरब ने तीखी प्रतिक्रिया दी — लेकिन अमेरिका को लेकर सऊदी अरब की चुप्पी अब विश्लेषकों को सोचने पर मजबूर कर रही है.

    Iran-Qatar conflict Saudi angry at Tehran silent on America
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    मध्य पूर्व में इजरायल और ईरान के बीच जारी संघर्ष अब एक नई करवट ले चुका है. जैसे ही अमेरिका इस लड़ाई में खुलकर शामिल हुआ और ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों को ध्वस्त किया, स्थिति और अधिक विस्फोटक हो गई.

    22 जून को अमेरिकी हमले के जवाब में ईरान ने 23 जून की रात कतर स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे अल-उदीद पर मिसाइलें दागीं. इस घटना के तुरंत बाद कतर और सऊदी अरब ने तीखी प्रतिक्रिया दी — लेकिन अमेरिका को लेकर सऊदी अरब की चुप्पी अब विश्लेषकों को सोचने पर मजबूर कर रही है.

    ईरान का कतर पर हमला: पड़ोसी और रणनीतिक कारण

    ईरान द्वारा कुल 19 मिसाइलें दागी गईं, जिनमें से 18 को अमेरिका के एयर डिफेंस सिस्टम ने हवा में ही निष्क्रिय कर दिया. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि ईरान ने सीधे कतर को ही क्यों निशाना बनाया?

    • भूगोल और पहुंच: कतर ईरान का सीधा पड़ोसी है, जिससे बिना किसी दूसरे देश के एयरस्पेस का उल्लंघन किए मिसाइल हमले करना आसान हो गया.
    • सैन्य ठिकाना: कतर अमेरिका का सबसे अहम मिलिट्री बेस है — अल-उदीद एयरबेस, जहां से अमेरिका पूरे खाड़ी क्षेत्र में सैन्य अभियान चलाता है.
    • राजनीतिक असहमति: कतर और ईरान के रिश्तों में पहले भी तल्खी देखी गई है. ऐसे में ईरान के लिए यह हमला अमेरिका को निशाना बनाने का आसान विकल्प बना.
    • सऊदी की प्रतिक्रिया: कतर के लिए समर्थन, ईरान के लिए चेतावनी

    जैसे ही मिसाइल हमले हुए, सऊदी अरब ने तुरंत एक आधिकारिक बयान जारी कर ईरान की तीखी आलोचना की. सऊदी विदेश मंत्रालय ने इसे "अंतरराष्ट्रीय कानून और पड़ोसी देशों के रिश्तों का उल्लंघन" बताया. सऊदी ने इस हमले को "गैर-जिम्मेदाराना और भड़काऊ" कदम बताते हुए भविष्य में "बदले की कार्रवाई" की भी चेतावनी दी.

    कतर भी हुआ आक्रामक

    अब तक एक संतुलित रुख अपनाने वाला कतर, इस हमले के बाद मुखर हो गया. कतर के विदेश मंत्रालय ने ईरान की IRGC (इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स) को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यह हमारी संप्रभुता और हवाई क्षेत्र का सीधा उल्लंघन है. कतर ने यह भी कहा कि उसके पास इस हमले का जवाब देने का पूरा हक है — हालांकि उसने आगे की कोई सैन्य कार्रवाई की घोषणा नहीं की.

    ईरान की सफाई: "हम कतर के दुश्मन नहीं"

    ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने सफाई दी कि हमला रिहायशी इलाकों से दूर किया गया और इसका मकसद अमेरिका को जवाब देना था, न कि कतर को. ईरान ने कहा कि वह "कतर के साथ ऐतिहासिक और भाईचारे वाले रिश्तों" को कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध है.

    अमेरिका पर चुप क्यों है सऊदी?

    जब अमेरिका ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया था, तो सऊदी अरब ने सिर्फ "चिंता" जताई थी. लेकिन जब ईरान ने जवाबी कार्रवाई की और कतर के अमेरिकी बेस को निशाना बनाया, तब सऊदी की प्रतिक्रिया तुरंत और तीव्र थी — लेकिन केवल ईरान के खिलाफ. इस दोहरे रवैये से साफ है कि सऊदी अरब अभी भी अमेरिकी कूटनीति की छाया में रहना पसंद करता है. वह अमेरिका को खुलकर दोष नहीं देता, भले ही उसकी नीतियों के कारण क्षेत्र में तनाव पैदा हो.

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