प्रेशर बनाने की अमेरिका की पुरानी आदत! परमाणु से लेकर टैरिफ तक में अपनाया यही प्लान

    America: भारत और अमेरिका के रिश्तों में तनाव लगातार गहराता जा रहा है. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आने वाले कुछ उत्पादों पर 50% आयात शुल्क लगाने का फैसला इसी खिंचाव की ताज़ा मिसाल है.

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    America: भारत और अमेरिका के रिश्तों में तनाव लगातार गहराता जा रहा है. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आने वाले कुछ उत्पादों पर 50% आयात शुल्क लगाने का फैसला इसी खिंचाव की ताज़ा मिसाल है. ट्रंप ने न केवल भारत बल्कि ब्राजील पर भी 50% और कनाडा पर 35% टैरिफ लगा दिया, जिसे आर्थिक दबाव की रणनीति माना जा रहा है. 

    लेकिन यह कोई नया खेल नहीं है, अमेरिका ने अपनी सैन्य और आर्थिक ताकत का इस्तेमाल पहले भी कई बार दुनिया को अपनी शर्तों पर झुकाने के लिए किया है. आइए नज़र डालते हैं, ऐसे अहम मौकों पर जब अमेरिका ने वैश्विक मंच पर अपनी ताकत का खुला प्रदर्शन किया.

    1. जापान पर परमाणु हमला (1945)

    द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम चरण में अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए. हिरोशिमा में लगभग 1,40,000 और नागासाकी में करीब 74,000 लोगों की जान गई. यह इतिहास का पहला और अब तक का एकमात्र अवसर था जब युद्ध में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हुआ. इस घटना ने न केवल अमेरिका को वैश्विक सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित किया, बल्कि शीत युद्ध की नींव भी रखी.

    2. शीत युद्ध और परमाणु दबाव (1962)

    सोवियत संघ के साथ लंबे समय तक चली हथियारों की दौड़ के दौरान 1962 का क्यूबा मिसाइल संकट सबसे खतरनाक मोड़ था. जब सोवियत संघ ने क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात कीं, तो अमेरिका ने नौसैनिक नाकाबंदी लागू की. बढ़ते तनाव के बीच अंततः सोवियत संघ को अपने हथियार हटाने पड़े, और यह अमेरिका की रणनीतिक जीत मानी गई.

    3. 1971 के भारत-पाक युद्ध में हस्तक्षेप

    बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान अमेरिका ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया. तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर के निर्देश पर अमेरिका ने अपना सातवां नौसैनिक बेड़ा बंगाल की खाड़ी की ओर भेजा. इसे भारत के खिलाफ दबाव बनाने की कोशिश माना गया, जिसने दोनों देशों के रिश्तों में गहरा अविश्वास पैदा किया.

    4. ईरान पर हमला (2025)

    22 जून 2025 को अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों — फोर्डो, नतांज और इस्फहान — पर सीधा हमला किया. यह इजरायल-ईरान संघर्ष में अमेरिका की प्रत्यक्ष सैन्य भागीदारी का प्रतीक था और इससे पूरे मध्य पूर्व में तनाव और बढ़ गया.

    5. आर्थिक प्रतिबंध और टैरिफ वार

    पिछली कई दशकों में अमेरिका ने अपनी आर्थिक ताकत का इस्तेमाल करके अनेक देशों पर प्रतिबंध और भारी टैरिफ लगाए हैं. नवीनतम उदाहरण ट्रंप द्वारा भारत, ब्राजील और कनाडा पर लगाया गया अतिरिक्त आयात शुल्क है. विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे कदम वैश्विक व्यापार व्यवस्था में अस्थिरता लाते हैं और देशों के बीच आर्थिक टकराव को बढ़ावा देते हैं.

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