ढाका से आई एक रिपोर्ट ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को लेकर बड़ा खुलासा किया है. नॉर्थ ईस्ट न्यूज के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली मौजूदा प्रशासनिक व्यवस्था पर अमेरिकी दबदबा इतना गहरा है कि नीति निर्धारण से लेकर मंत्रालयों के कामकाज तक में अमेरिकी दूतावास के राजनयिक सीधा हस्तक्षेप कर रहे हैं. बताया गया है कि ये निर्देश अक्सर वॉट्सएप के जरिए सरकार के शीर्ष सलाहकारों तक पहुंचाए जाते हैं और ज्यादातर मामलों में उन्हें बिना किसी आपत्ति के मान भी लिया जाता है.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि संवेदनशील मंत्रालयों से जुड़े पांच अलग-अलग सलाहकारों को भेजे गए कई संदेशों की कॉपी पत्रकारों के पास मौजूद है. इनमें से एक उदाहरण जून महीने का है, जब एक महिला सलाहकार की करीबी को एक अमेरिकी राजनयिक ने 298 शब्दों का लंबा मैसेज भेजा था. इस संदेश में न केवल आर्थिक नीतियों पर राय दी गई थी, बल्कि एक तरह की सख्त चेतावनी का लहजा भी अपनाया गया था.
व्यापार समझौते पर दबाव
मैसेज में यह भी कहा गया था कि अमेरिका रेसिप्रोकल टैरिफ ढांचे को “बातचीत” का विषय नहीं मान रहा, बल्कि इसे एक प्रस्ताव की तरह देख रहा है — जिसे स्वीकार करने पर टैरिफ से छूट मिल सकती है, और न मानने पर 37% शुल्क लग सकता है. राजनयिक ने यह भी जोड़ा कि क्षेत्र के अन्य प्रतिस्पर्धी इस मसले को गंभीरता से ले रहे हैं, इसलिए बांग्लादेश को भी उसी गंभीरता से कदम उठाने चाहिए.
सलाहकार-राजनयिक वॉट्सएप ग्रुप
8 अगस्त 2024 को मोहम्मद यूनुस के पद संभालने के बाद एक विशेष वॉट्सएप ग्रुप बनाया गया, जिसमें अधिकांश सरकारी सलाहकार और अमेरिकी राजनयिक शामिल हैं. इस ग्रुप में नियमित तौर पर नीतिगत संदेश और उनके जवाब साझा होते हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यूनुस सरकार के गठन के तुरंत बाद से ही कुछ सलाहकारों को लगातार इस तरह के सीधे निर्देश मिलने लगे थे.
न्यायपालिका में भी दखल के आरोप
अमेरिकी दखल केवल सरकार तक सीमित नहीं है. रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक ने इस साल मई के तीसरे सप्ताह में बांग्लादेश के एक शीर्ष न्यायाधीश से मुलाकात की थी. इसी मुलाकात के कुछ हफ्तों बाद, सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने जमात-ए-इस्लामी के वरिष्ठ नेता एटीएम अजहरुल इस्लाम को रिहा कर दिया. इस फैसले पर अमेरिकी विधि सलाहकार ने खुलकर खुशी जताई थी.
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