वॉशिंगटन/तेल अवीव/तेहरान: मध्य पूर्व में इज़राइल और ईरान के बीच चल रही सैन्य झड़पों के बीच अमेरिका अब स्थिति को निर्णायक मोड़ पर ले जाने की तैयारी कर रहा है. ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ के तहत इज़राइल की कार्रवाई और ईरानी प्रतिक्रिया के बाद अब अमेरिका ने अपनी तीन एयरक्राफ्ट कैरियर स्ट्राइक ग्रुप्स को क्षेत्र में सक्रिय कर दिया है, जो किसी बड़े सैन्य हस्तक्षेप के संकेत हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार यह कदम सिर्फ ईरान पर दबाव बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में संतुलन और प्रतिरोध की रणनीति का हिस्सा है, जो अमेरिका की वैश्विक सैन्य उपस्थिति की पुनर्परिभाषा भी कर सकता है.
मिडिल ईस्ट में तैनात तीन कैरियर स्ट्राइक ग्रुप्स
1. USS Carl Vinson (CVN-70)
पहले से मिडिल ईस्ट में तैनात यह ग्रुप अमेरिका की नौसेना शक्ति का मुख्य स्तंभ है. इसमें लगभग 90 एयरक्राफ्ट शामिल हैं, जिनमें:
इसके साथ USS Princeton (क्रूजर) और दो गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर्स तैनात हैं.
2. USS Nimitz (CVN-68)
दक्षिण चीन सागर से हटाकर इसे समय से पहले मिडिल ईस्ट रवाना कर दिया गया है. इसके साथ आने वाले संसाधन:
3. USS Gerald R. Ford (CVN-78)
अब तक का सबसे उन्नत और बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर, जिसे मेडिटेरेनियन सागर की ओर मूव किया गया है. इसमें:
इस तैनाती के बाद अमेरिका के पास मिडिल ईस्ट क्षेत्र में 180 से अधिक फाइटर जेट, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमताएं, और मिसाइल डिफेंस सिस्टम की भारी मौजूदगी होगी.
रणनीतिक संदर्भ: यह सिर्फ युद्ध की तैयारी नहीं
अमेरिका की यह तैनाती केवल ईरान के खिलाफ हमले की आशंका के कारण नहीं है, बल्कि इससे जुड़े कई रणनीतिक उद्देश्य भी हैं:
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