मध्य पूर्व में जंग के बादल फिर मंडराने लगे हैं. ईरान और अमेरिका के बीच तनाव नई ऊंचाइयों पर पहुंच चुका है. बीते रविवार रात, अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों पर हमले का दावा किया. इनमें से एक, फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी, खास तौर पर चर्चा में है क्योंकि यह ईरान की सबसे संवेदनशील यूरेनियम संवर्धन स्थलों में गिनी जाती है.
हालांकि, ईरान ने इस हमले को "बिना कारण की युद्ध कार्रवाई" करार देते हुए अमेरिका को चेतावनी दी है कि यह हमला अनुत्तरित नहीं रहेगा. वहीं, तेहरान की ओर से यह दावा भी किया गया है कि जिन ठिकानों को निशाना बनाया गया, वहां हमले के वक्त कोई रेडियोधर्मी सामग्री मौजूद नहीं थी. ईरानी अधिकारियों ने बताया कि संवेदनशील यूरेनियम और अन्य जोखिम भरे पदार्थों को पहले ही वहां से हटा लिया गया था.
क्या अमेरिका की खुफिया जानकारी फेल हुई?
फोर्डो की बात करें तो यह एक भूमिगत परमाणु केंद्र है जो कि ईरान के कॉम प्रांत में स्थित है. वहां के सांसद मोहम्मद मनन रईसी के अनुसार, अमेरिकी हमले में साइट के केवल सतही ढांचे को नुकसान पहुंचा है, जबकि परमाणु कार्यक्रम की असली संरचनाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं. उन्होंने स्थानीय नागरिकों को भरोसा दिलाया कि कोई रेडियोधर्मी रिसाव नहीं हुआ है.
यहां एक बड़ा सवाल खड़ा होता है — क्या अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने ईरान के परमाणु ठिकानों की स्थिति का गलत आकलन किया? अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने ईरान की परमाणु क्षमता को भारी नुकसान पहुंचाया है, लेकिन ईरान की ओर से आ रहे बयान इन दावों को चुनौती देते नजर आ रहे हैं.
ईरान की चेतावनी – “अब हमारी बारी”
हमले के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने अमेरिका को स्पष्ट शब्दों में चेताया कि वह अब पहले से कहीं ज्यादा बड़ा जवाब देने को तैयार है. उनका यह बयान न केवल ईरानी जनभावनाओं को उकसाता है, बल्कि पूरे क्षेत्र में एक और संघर्ष की आशंका भी पैदा करता है.
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