अमेरिका का ‘F-47 फाइटर जेट’: चीन की हवाई ताकत को टक्कर देने की तैयारी में सुपरस्टील्थ विमान, बजट का ऐलान

    अमेरिकी रक्षा विभाग ने 2026 के रक्षा बजट में इस विमान के विकास के लिए 3.5 अरब डॉलर की भारी-भरकम राशि निर्धारित की है.

    America F47 Fighter Jet against China budget
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती हवाई ताकत ने अमेरिका को सतर्क कर दिया है. इसी कड़ी में अमेरिका ने अपने सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट F-47 छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान को लेकर बड़ी घोषणा की है. अमेरिकी रक्षा विभाग ने 2026 के रक्षा बजट में इस विमान के विकास के लिए 3.5 अरब डॉलर की भारी-भरकम राशि निर्धारित की है. इस आधुनिक फाइटर को NGAD (Next Generation Air Dominance) कार्यक्रम के तहत विकसित किया जा रहा है, जो भविष्य के युद्धों की दिशा तय करेगा.

    क्यों जरूरी है F-47?

    अमेरिकी वायुसेना की रणनीति अब पारंपरिक ताकत से आगे बढ़कर ‘स्मार्ट वॉरफेयर’ की ओर बढ़ रही है. चीन के J-36 और J-50 जैसे आधुनिक फाइटर जेट्स के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अमेरिका का उद्देश्य है कि वह हवाई क्षेत्र में अपनी बढ़त बरकरार रखे. F-47 इसी रणनीतिक सोच का हिस्सा है. अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा की रीढ़ बताते हुए कहा है कि यह विमान आने वाले वर्षों में अमेरिका की युद्ध नीति की दिशा तय करेगा.

    तकनीक के मामले में ‘सुपर-वॉरियर’

    F-47 को महज एक फाइटर जेट नहीं, बल्कि एक उड़ता हुआ सुपर कंप्यूटर कहा जा रहा है. इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं:

    • स्टील्थ डिजाइन: रडार पर पकड़ से बाहर
    • AI-सक्षम एवियोनिक्स: फैसले खुद लेने में सक्षम
    • एडाप्टिव साइकिल इंजन: कम ईंधन में लंबी दूरी तय करने की क्षमता
    • Collaborative Combat Aircraft (CCA): अपने साथ ऑटोनोमस ड्रोन उड़ा सकता है, जो अलग-अलग मिशन अंजाम दे सकते हैं.

    यानी अकेला F-47 स्क्वाड्रन जितनी ताकत पैदा कर सकता है. इसे बोइंग द्वारा विकसित किया जा रहा है और इसे F-22 रैप्टर का उन्नत उत्तराधिकारी माना जा रहा है.

    चीन की चुनौती क्यों गंभीर है?

    चीन के J-36 और J-50 जैसे विमान पहले ही उड़ान परीक्षण में शामिल हो चुके हैं.

    • J-36: लंबी दूरी, टेललेस डबल डेल्टा विंग और लेजर आधारित डिफेंस सिस्टम
    • J-50: कॉम्पैक्ट डिजाइन, थ्रस्ट वेक्टरिंग इंजन और एयरक्राफ्ट कैरियर ऑपरेशनल क्षमता

    इन विमानों की तैनाती न सिर्फ भारत और जापान जैसे देशों के लिए खतरा है, बल्कि अमेरिका की हिंद-प्रशांत में पकड़ को भी चुनौती देती है.

    F-47 का रणनीतिक मकसद

    F-47 को विशेष रूप से A2/AD (Anti-Access/Area Denial) वातावरण में ऑपरेशन के लिए डिजाइन किया जा रहा है — जहां दुश्मन की वायु रक्षा प्रणाली बेहद सशक्त होती है. यह विमान:

    • AI आधारित निर्णय क्षमता से तेजी से निर्णय ले सकेगा
    • सुपरक्रूज टेक्नोलॉजी से बिना अधिक ईंधन खर्च किए लंबी दूरी तय कर सकेगा
    • थर्मल मैनेजमेंट में दक्ष होगा, जिससे ऊंची गति और ऊंचाई पर भी संचालन में सक्षम रहेगा

    अमेरिका का संदेश साफ है

    F-47 केवल एक तकनीकी परियोजना नहीं, बल्कि अमेरिका की वैश्विक शक्ति बनाए रखने का जरिया है. आने वाले वर्षों में यह विमान अमेरिका को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के खिलाफ निर्णायक बढ़त देने वाला हथियार साबित हो सकता है. अमेरिका यह स्पष्ट कर चुका है कि वह हवाई शक्ति के क्षेत्र में कोई समझौता नहीं करेगा — और F-47 इसी इरादे का एक जिंदा प्रमाण है.

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