वाशिंगटन डीसी/इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की अमेरिका यात्रा को लेकर पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर चल रही अटकलों पर अब विराम लग गया है. व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया है कि 14 जून 2025 को वाशिंगटन डीसी में होने वाले अमेरिकी सेना दिवस (250वीं वर्षगांठ) समारोह के लिए किसी भी विदेशी सैन्य अधिकारी को आमंत्रित नहीं किया गया है. इस बयान के साथ ही उन तमाम रिपोर्ट्स को गलत साबित कर दिया गया है, जिनमें दावा किया जा रहा था कि जनरल मुनीर को विशेष निमंत्रण दिया गया है.
सोशल मीडिया से शुरू हुई अफवाहें
हाल ही में पाकिस्तान के कुछ मीडिया प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया यूजर्स ने यह प्रचार करना शुरू कर दिया था कि जनरल मुनीर अमेरिकी सेना दिवस परेड में विशेष अतिथि के रूप में शिरकत करने वाले हैं. इस खबर के बाद अमेरिकी पाकिस्तानी समुदाय में भी हलचल देखी गई और वाशिंगटन डीसी में विरोध प्रदर्शनों की योजना बनने लगी. इन प्रदर्शनों का मकसद मुनीर के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान में मानवाधिकार हनन और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के खिलाफ आवाज उठाना था.
व्हाइट हाउस ने अफवाहों को किया खारिज
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने इस संबंध में आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि अमेरिकी सेना दिवस कार्यक्रम में "किसी भी विदेशी सैन्य नेता को आमंत्रित नहीं किया गया है." इस बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया कि जनरल मुनीर की अमेरिका यात्रा की खबरें आधारहीन थीं.
भारतीय पत्रकार आदित्य राज कौल ने भी इस खबर की पुष्टि करते हुए अपने सोशल मीडिया पोस्ट में व्हाइट हाउस के बयान का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान द्वारा फैलाई जा रही एक "प्रचारित झूठी खबर" थी, जिसका कोई आधार नहीं था.
भारत-अमेरिका संबंधों की भूमिका
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के इस रुख के पीछे भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी भी एक महत्वपूर्ण कारक हो सकती है. हाल ही में भारत द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर किए गए हमलों के बाद अमेरिका ने भारत के आतंकवाद विरोधी रुख की सराहना की थी. अमेरिकी विदेश नीति अब दक्षिण एशिया में भारत के साथ अधिक गहराई से जुड़ती दिख रही है, जबकि पाकिस्तान की वैश्विक साख लगातार कमजोर हो रही है.
पाकिस्तान की छवि पर असर
इस घटनाक्रम ने पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय साख को एक और झटका दिया है. पहले से ही आतंकवाद के समर्थन और आंतरिक अस्थिरता के आरोपों से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए यह एक कूटनीतिक झटका माना जा रहा है. इस प्रकरण से यह भी साफ हो गया कि पाकिस्तान के सूचना तंत्र में किस हद तक झूठी खबरें फैलाकर अपनी छवि चमकाने की कोशिश की जा रही है.
ये भी पढ़ें- सुलगने लगा मिडिल ईस्ट! इजरायल-ईरान जंग में हुई इराक की एंट्री, क्या अमेरिका भी बीच में कूदेगा?