America Attacked on Iran: जब पूरी दुनिया की नजरें ईरान और इजरायल के बीच जारी टकराव पर टिकी हुई हैं, उसी दौरान एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम वैश्विक मंच पर आकार ले रहा है. यह जंग सैन्य नहीं, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर लड़ी जा रही है, और इस बार निशाने पर है अमेरिका. विश्व के पांच प्रमुख देश ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका अमेरिकी टैरिफ नीति के खिलाफ एकजुट हो चुके हैं. इन देशों ने मिलकर अमेरिकी दबदबे के विकल्प के रूप में एक नई आर्थिक रणनीति तैयार की है, जो आने वाले समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था की दिशा बदल सकती है.
अमेरिकी टैरिफ नीति के जवाब में ब्रिक्स देशों की नई चाल
ब्रिक्स (BRICS) समूह के शीर्ष नेताओं की बैठक से पहले, सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने साफ संकेत दिए हैं कि वे अमेरिका की आक्रामक टैरिफ नीतियों के खिलाफ ठोस कदम उठाने की तैयारी में हैं. खासकर डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन की 'प्रोटेक्शनिस्ट' नीतियों के जवाब में ब्रिक्स देश अब डॉलर पर निर्भरता कम कर, अपनी-अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं के माध्यम से आपसी व्यापार को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रहे हैं.
रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने इस दिशा में अपने समर्थन की पुष्टि करते हुए कहा कि ब्रिक्स एक ऐसा मंच है जो वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में सहायक साबित हो सकता है. उनका यह बयान “ब्रिक्स: एक समावेशी और सतत वैश्विक व्यवस्था की ओर” नामक सम्मेलन के दौरान सामने आया, जो रियो डी जेनेरियो में आयोजित किया गया था.
ब्रिक्स करेंसी की राह कठिन, लेकिन मंशा मजबूत
हालांकि, इस शिखर सम्मेलन में प्रस्तावित ब्रिक्स करेंसी को लेकर किसी ठोस निर्णय की संभावना नहीं जताई गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि एक साझा मुद्रा के निर्माण में समय और संरचनात्मक सुधारों की जरूरत होगी. इसके साथ ही अमेरिकी प्रशासन ने भी ब्रिक्स को चेतावनी दी है कि वे डॉलर के स्थान पर नई करेंसी लाने की कोशिश न करें. इसके बावजूद ब्रिक्स देश अब अधिक आत्मनिर्भर और अमेरिकी प्रभाव से मुक्त वैश्विक व्यापार तंत्र की ओर बढ़ते दिख रहे हैं.
ये हैं वो पांच देश जो बदल सकते हैं ग्लोबल इकोनॉमी की तस्वीर
ब्रिक्स में शामिल पांच देश ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका दुनिया की बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में गिने जाते हैं. आने वाली 6-7 जुलाई को रियो डी जेनेरियो में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी ब्राजील कर रहा है, जो इस साल समूह का अध्यक्ष है. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा सहित अन्य बड़े नेता शामिल होंगे. इस सम्मेलन को भारत स्थित ब्राजील के दूतावास और थिंक टैंक सेंटर फॉर ग्लोबल इंडिया इनसाइट्स (CGII) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया है, जो इस बात का संकेत है कि ब्रिक्स देश अब अमेरिका की एकतरफा आर्थिक नीतियों के विरुद्ध एक समन्वित मोर्चा बना रहे हैं.
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