बीजिंग: भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की सुरक्षा परिषद सचिवों की 20वीं वार्षिक बैठक में मंगलवार को एक स्पष्ट और प्रभावशाली बयान जारी करते हुए आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मांग की. उन्होंने कहा, “आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को जवाबदेह ठहराना ही अब समय की मांग है.”
भारत का रुख: आतंकवाद मानवता के खिलाफ अपराध
डोभाल ने अपने संबोधन में हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का संदर्भ दिया, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई, जिनमें भारतीय और नेपाली नागरिक शामिल थे. उन्होंने बताया कि हमले के पीछे संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) था, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है और आतंक की वैश्विक श्रृंखला का हिस्सा है.
भारत की जवाबी कार्रवाई 'ऑपरेशन सिंदूर' को उन्होंने “संतुलित और गैर-उकसाने वाली कार्रवाई” बताया, जिसका उद्देश्य आतंकी बुनियादी ढांचे को ध्वस्त करना और सीमापार से घुसपैठ की कोशिशों को रोकना था.
डोभाल की अपील: दोहरे मानदंड खत्म करें
डोभाल ने ज़ोर देकर कहा कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, अल-कायदा, और आईएसआईएस जैसे संगठनों को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी घोषित किया जा चुका है, लेकिन इनका संचालन अब भी जारी है और कुछ को राज्य समर्थित संरक्षण प्राप्त है.
उन्होंने SCO के सदस्य देशों से अपील की कि सीमापार आतंकवाद को भी आतंक का उतना ही गंभीर स्वरूप माना जाए और आतंकवाद के प्रायोजकों, आयोजकों, वित्तपोषकों और हमलावरों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए सहयोग किया जाए.
तीन प्रस्ताव: भारत की आतंक के खिलाफ रणनीति
NSA डोभाल ने बैठक के दौरान तीन अहम रणनीतिक प्रस्ताव भी रखे:
चीन और रूस के साथ उच्चस्तरीय संवाद
बैठक से इतर, डोभाल ने चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग और रूस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के उप सचिव अलेक्जेंडर वेनेडिक्टोव से मुलाकात की. रूस ने भारत को द्विपक्षीय रणनीतिक संवाद के अगले चरण के लिए आमंत्रित किया है, जो आने वाले महीनों में आयोजित किया जाएगा.
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