आपको डायबिटीज होगी या नहीं? ऑस्ट्रेलिया का ये स्मार्ट हेल्थ डिवाइस पहले ही बता देगा सब कुछ

    मेडिकल विज्ञान में तकनीकी उन्नति ने फिर एक बार उम्मीद की किरण जगाई है. ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने एक अत्याधुनिक एआई (Artificial Intelligence) आधारित उपकरण विकसित किया है, जो भविष्य में किसी व्यक्ति को टाइप 1 डायबिटीज होने के जोखिम का अनुमान लगा सकता है.

    AI Device for Diabetes Prediction type 1 diabetes risk
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    AI Device for Diabetes Prediction: मेडिकल विज्ञान में तकनीकी उन्नति ने फिर एक बार उम्मीद की किरण जगाई है. ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने एक अत्याधुनिक एआई (Artificial Intelligence) आधारित उपकरण विकसित किया है, जो भविष्य में किसी व्यक्ति को टाइप 1 डायबिटीज होने के जोखिम का अनुमान लगा सकता है. यह उपकरण न केवल बीमारी की प्रारंभिक चेतावनी देता है, बल्कि यह भी बता सकता है कि मरीज के लिए कौन-सा इलाज सबसे अधिक प्रभावी रहेगा. इस खोज को वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पूरा किया है और इसे ‘डायनेमिक रिस्क स्कोर फॉर किड्स’ (DRS4C) नाम दिया गया है. यह तकनीक माइक्रोआरएनए (microRNA) के विश्लेषण पर आधारित है, जो रक्त में पाए जाने वाले सूक्ष्म आरएनए अंशों का अध्ययन करके डायबिटीज का खतरा भांपती है.  

    मात्र एक घंटे में बता देती है ये मशीन

    यह उपकरण डायबिटीज की पहचान और उपचार में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है. प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल Nature Medicine में प्रकाशित इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने दुनिया भर से 5,983 लोगों के रक्त नमूनों का गहराई से अध्ययन किया. इसके बाद 662 लोगों पर परीक्षण कर इसकी सटीकता और उपयोगिता को परखा गया. सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह डिवाइस उपचार शुरू होने के महज एक घंटे के भीतर यह बता सकती है कि किस मरीज को इंसुलिन की आवश्यकता होगी और किसे नहीं. इससे डॉक्टरों को सही और समय पर इलाज चुनने में काफी मदद मिल सकती है.

    मुख्य शोधकर्ता ने क्या बताया?

    डायबिटीज, खासकर टाइप 1 डायबिटीज, बच्चों में तेजी से फैलने वाली बीमारी है जो जीवन प्रत्याशा को कई वर्षों तक कम कर सकती है. प्रोफेसर आनंद हार्डिकर के अनुसार, यदि बीमारी को समय रहते पहचाना जाए तो इसके गंभीर परिणामों को रोका जा सकता है. मुख्य शोधकर्ता डॉ. मुग्धा जोगलेकर ने बताया कि यह उपकरण केवल जीन संबंधी जानकारियों पर निर्भर नहीं करता, बल्कि यह शरीर में समय-समय पर होने वाले बदलावों को भी ट्रैक करता है. इसीलिए इसे ‘डायनेमिक रिस्क मार्कर’ कहा जाता है, जो पारंपरिक जेनेटिक टेस्टिंग से कहीं अधिक उन्नत और विश्वसनीय है.

    इस नई तकनीक के आने से टाइप 1 डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी का समय पर पता लगाना और उसका प्रभावी इलाज संभव हो सकेगा. इससे न केवल लाखों लोगों की जिंदगी बेहतर होगी, बल्कि हेल्थकेयर सिस्टम पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. भविष्य में ऐसे एआई आधारित उपकरण चिकित्सा जगत में नई क्रांति लेकर आएंगे और रोगियों के लिए जीवन को आसान और सुरक्षित बनाएंगे.

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