ड्रोन, रडार, मिसाइलें, बैलिस्टिक हेलमेट... ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने खरीदे कई हथियार, क्या है वजह?

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने अपनी सैन्य ताकत को और धार देने के लिए 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की इमरजेंसी डिफेंस प्रोक्योरमेंट को हरी झंडी दे दी है.

    After Operation Sindoor India purchased many weapons
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने अपनी सैन्य ताकत को और धार देने के लिए 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की इमरजेंसी डिफेंस प्रोक्योरमेंट को हरी झंडी दे दी है. इस फास्ट-ट्रैक खरीद प्रक्रिया के तहत ड्रोन्स, रडार, मिसाइल सिस्टम, सैन्य वाहन, बुलेटप्रूफ गियर जैसे तमाम अत्याधुनिक उपकरण सेना को मिलेंगे. रक्षा मंत्रालय ने इस खरीद का उद्देश्य स्पष्ट किया है – आतंकवाद विरोधी अभियानों में सेना की ऑपरेशनल कैपेबिलिटी को तुरंत और मजबूती से बढ़ाना.

    2000 करोड़ की खरीद: क्या-क्या शामिल है?

    रक्षा मंत्रालय द्वारा अंतिम रूप दिए गए 13 डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट्स की कुल लागत ₹1981.90 करोड़ है. इन समझौतों में ऐसे उपकरण शामिल हैं जो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं:

    • यूनिफाइड ड्रोन डिटेक्शन और इंटरडिक्शन सिस्टम (IDDIS)
    • हल्के वजन के रडार (Low-Level Light Weight Radar - LLLR)
    • वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग क्षमता वाले ड्रोन (Loitering Munitions)
    • बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS) – लॉन्चर और मिसाइल समेत
    • रिमोट से संचालित हवाई वाहन (UAVs)
    • क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल्स (QRAV) – भारी और मध्यम दोनों
    • नाइट विजन डिवाइसेज़ (NVDs)
    • बुलेटप्रूफ जैकेट और बैलिस्टिक हेलमेट

    इन सभी उपकरणों की खास बात यह है कि अधिकतर स्वदेशी हैं, यानी ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत बनाए गए हैं, जो भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को भी रेखांकित करता है.

    क्यों जरूरी पड़ी ये तात्कालिक खरीद?

    हथियारों की खरीद सामान्यतः एक लंबी और जटिल प्रक्रिया से गुजरती है—जिसमें तकनीकी परीक्षण, टेंडरिंग, मूल्यांकन और मंजूरी शामिल होती है. लेकिन जब ऑपरेशनल ज़रूरत तत्काल हो, जैसे कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद बना माहौल, तो सेना के पास वक्त नहीं होता.

    ऐसे में इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट की व्यवस्था ही सबसे तेज़ रास्ता है जिससे बिना समय गंवाए जरूरी साजोसामान सैनिकों तक पहुंचाया जा सकता है.

    रक्षा मंत्रालय ने यह कदम ऐसे वक्त पर उठाया है जब भारत आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक रणनीति पर काम कर रहा है.

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद से यह शुरू हुआ

    22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में कई जवानों की शहादत हुई. इसके जवाब में भारत ने 6-7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया. इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान और पीओके में मौजूद 8 आतंकी ठिकानों को तबाह किया गया.

    इसके बाद पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए ड्रोन और मिसाइल अटैक किए, जिससे भारत ने कड़े जवाब में 11 पाकिस्तानी एयरबेस को निशाना बनाया. इस टकराव के बाद पाकिस्तान को 10 मई को भारत से सीज़फायर की गुहार लगानी पड़ी.

    हालांकि भारत ने स्पष्ट कर दिया कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ अस्थायी रूप से रोका गया है, खत्म नहीं. प्रधानमंत्री मोदी ने साफ चेतावनी दी कि अब अगर भारत पर कोई और आतंकी हमला होता है, तो उसे युद्ध माना जाएगा.

    इस खरीद का असली मकसद क्या है?

    • सैन्य तैयारियों को तुरंत मज़बूत करना
    • आतंकवाद के खिलाफ अभियानों को स्मार्ट और प्रिसाइज़ बनाना
    • फील्ड ऑपरेशन में सैनिकों की सुरक्षा और सटीकता बढ़ाना
    • भारत की रणनीतिक संप्रभुता और प्रतिक्रिया क्षमताओं को और धार देना

    रक्षा मंत्रालय का साफ कहना है कि यह खरीद सीमा पार से उभरती नई सुरक्षा चुनौतियों के जवाब में भारत की सैन्य रणनीति का हिस्सा है. 

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