काबुल: बीते कुछ दिनों से भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद उपजे तनाव के बीच पाकिस्तान की तरफ से एक नया और अवास्तविक दावा किया गया कि भारत ने अफगानिस्तान की जमीन पर मिसाइल हमला किया है. इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अचानक हलचल जरूर मचाई, लेकिन कुछ ही घंटों में पाकिस्तान का यह दावा सिर से पांव तक झूठा साबित हो गया.
भारत ने इस बात से तुरंत इनकार किया, लेकिन पाकिस्तान की यह चाल उस समय पूरी तरह से बेनकाब हो गई जब अफगानिस्तान के तालिबान शासित रक्षा मंत्रालय ने भी इस दावे को खारिज कर दिया.
तालिबान का बयान: नहीं गिरी कोई मिसाइल
अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इनायतुल्लाह ख्वारिज्मी ने एक आधिकारिक बयान में स्पष्ट किया कि अफगान क्षेत्र पर भारत द्वारा कोई मिसाइल हमला नहीं किया गया है. उन्होंने हुर्रियत रेडियो को दिए गए इंटरव्यू में दो टूक कहा: "हमने पाकिस्तान के उस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि भारत ने अफगानिस्तान की धरती पर मिसाइलें दागी हैं. ऐसे आरोप आधारहीन और झूठे हैं."
तालिबान की ओर से आया यह बयान केवल पाकिस्तान के दावे का खंडन नहीं था बल्कि यह दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में बदलते समीकरणों का भी संकेत है.
अफगान जनता जानती है असली दुश्मन कौन है
भारत ने शुरू से ही पाकिस्तान के आरोपों को "झूठ और प्रचार आधारित" कह कर खारिज कर दिया. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि: "पाकिस्तान अपने अंदरूनी संकट और आतंकी ठिकानों पर भारत की कार्रवाई से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे झूठे और हास्यास्पद दावे कर रहा है. अफगान लोग अच्छी तरह जानते हैं कि उनके असली शत्रु कौन हैं."
संकट से ध्यान हटाने की पुरानी रणनीति
पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसियों ने आरोप लगाया था कि भारत की कुछ मिसाइलें अफगानिस्तान में गिरी हैं और यह क्षेत्रीय अस्थिरता फैलाने का प्रयास है. उन्होंने कुछ कथित सबूतों का हवाला देते हुए इन दावों को आगे बढ़ाने की कोशिश की. लेकिन किसी भी स्वतंत्र स्रोत ने इन आरोपों की पुष्टि नहीं की.
विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था, जिसका मकसद था भारत के ऑपरेशन सिंदूर से उपजे दबाव और वैश्विक आलोचना से ध्यान हटाना.
अफगानिस्तान-पाकिस्तान संबंधों में बढ़ता तनाव
गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान और तालिबान-शासित अफगानिस्तान के बीच संबंध लगातार खराब हुए हैं. सीमा विवाद, व्यापारिक गतिरोध और पाकिस्तान द्वारा की गई सैन्य कार्रवाइयों ने इस दूरी को और बढ़ा दिया है.
वहीं भारत और अफगानिस्तान के बीच कुछ हद तक संवाद बहाल हुआ है. भारत ने अफगान जनता की मानवता और विकास के क्षेत्र में सहायता करते हुए तालिबान शासन के साथ बैकचैनल कूटनीति शुरू की है. पाकिस्तान को डर है कि भारत-अफगान समीकरण का उपयोग कर उसकी पश्चिमी सीमा पर भी कूटनीतिक दबाव डाला जा सकता है.
पाकिस्तान की कहानी एक बार फिर खोखली
यह पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान ने भ्रामक सूचना फैलाकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने की कोशिश की हो. लेकिन इस बार उसे जवाब दोनों मोर्चों से मिला. भारत और अफगानिस्तान ने मिलकर पाकिस्तान के झूठ को उजागर किया.
इस घटना से यह बात साफ होती है कि पाकिस्तान न केवल भारत के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चला रहा है, बल्कि अपने भीतरू संकटों को छिपाने के लिए पड़ोसी देशों को दोषी ठहराने की पुरानी नीति पर अब भी कायम है.