Digging Mass Grave: इराक का मोसुल, एक ऐसा शहर, जिसने युद्ध, आतंक और खूनखराबे का सबसे डरावना दौर झेला. अब सालों बाद जब ज़िंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है, तो धरती के सीने से वह खामोश दर्द बाहर आ रहा है, जिसे ISIS ने दफना दिया था.
शहर के दक्षिण में स्थित अल-खफ्सा में खुदाई शुरू हो चुकी है, और उम्मीद जताई जा रही है कि यहां से 4 से 5 हजार शवों के अवशेष बरामद हो सकते हैं. यह आधुनिक इराकी इतिहास की सबसे बड़ी सामूहिक कब्र साबित हो सकती है.
ISIS की दहशत और मौत की गवाही
2014 में जब इस्लामिक स्टेट (ISIS) ने इराक के बड़े हिस्से पर कब्जा किया था, तब उसके आतंक का पहला निशाना आम लोग बने. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2014 से 2018 के बीच 68,260 नागरिकों की जान गई. हजारों लोग आज तक लापता हैं. अल-खफ्सा में मिली कब्रें उसी कत्लेआम की गवाही दे रही हैं. यह इलाका लगभग 500 फीट गहरा और 360 फीट चौड़ा है—जहां कभी सैकड़ों-हजारों लोगों को बसों में भरकर लाया गया और मौत के घाट उतार दिया गया.
शवों की पहचान और DNA मिलान
इराकी अधिकारी, न्यायपालिका और फोरेंसिक टीम मिलकर काम कर रही हैं. DNA सैंपल लेकर पीड़ितों के परिवारों से मैच कराया जाएगा. “शहीद फाउंडेशन” के प्रमुख अहमद कुसे अल-असादी के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय मदद से ही बड़े पैमाने पर खुदाई और अवशेषों की पहचान संभव होगी. सल्फर वाले पानी और जमीन में दबे बम भी इस प्रक्रिया को बेहद खतरनाक बना रहे हैं.
ज्यादातर सैनिक और पुलिसकर्मी
माना जा रहा है कि यहां मिले शवों में से लगभग 70% इराकी सेना और पुलिस के जवानों के हैं. चश्मदीदों के अनुसार, ISIS लड़ाके अक्सर उन्हें बसों में भरकर लाते थे और बेरहमी से मार डालते थे, कई बार सिर तक काट दिए जाते थे.
अल-खफ्सा: आतंक की काली गाथा
2017 में ISIS ने इस जगह पर नियंत्रण किया था. अपने चरम पर ISIS ने ऐसा इलाका कब्जे में ले लिया था, जो यूनाइटेड किंगडम के आधे हिस्से जितना बड़ा था. सीरिया के रक्का को उसने अपनी राजधानी घोषित किया था.
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