UP News: उत्तर प्रदेश अब इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को लेकर नई रफ्तार पकड़ने जा रहा है. जहां एक तरफ राज्य में ईवी की लोकप्रियता तेज़ी से बढ़ रही है, वहीं दूसरी तरफ चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर सबसे बड़ी चिंता भी दूर होने वाली है. योगी सरकार ने प्रदेश के 16 बड़े शहरों में 320 आधुनिक पब्लिक चार्जिंग स्टेशन बनाने की घोषणा की है, जिससे ईवी चालकों को अब कहीं भी चार्जिंग की दिक्कत नहीं होगी.
पिछले तीन वर्षों में उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. साल 2022 में जहां करीब 76,000 ईवी रजिस्टर हुए थे, वहीं 2023 में यह संख्या बढ़कर 1.29 लाख पहुंच गई और 2024 में यह आंकड़ा 1.55 लाख से भी ऊपर निकल गया. इन आंकड़ों से साफ है कि लोग अब पारंपरिक पेट्रोल-डीजल वाहनों की जगह बैटरी चालित गाड़ियों को प्राथमिकता देने लगे हैं. लेकिन इस बदलाव के साथ सबसे बड़ी चुनौती रही – चार्जिंग की उपलब्धता.
कहां होंगे चार्जिंग स्टेशन?
सरकार अब आगरा, अलीगढ़, मेरठ, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी जैसे 16 नगर निगम क्षेत्रों में चार्जिंग स्टेशन बनाने जा रही है. इन्हें इस तरह से डिज़ाइन किया जाएगा कि बाजार, मॉल, रेस्टोरेंट और बस स्टॉप जैसे हाई ट्रैफिक एरिया में इनकी मौजूदगी रहे. इससे न सिर्फ वाहन चालकों को सुविधा होगी, बल्कि चार्जिंग के समय को भी प्रोडक्टिव बनाया जा सकेगा.
तकनीक और सुविधाओं से लैस स्टेशन
हर स्टेशन पर फास्ट और स्लो चार्जिंग की सुविधा होगी जिसमें CCS-2, CHAdeMO और Bharat AC/DC जैसे चार्जर लगाए जाएंगे. यह सभी प्रकार के वाहनों – दोपहिया, तिपहिया और चारपहिया – को सपोर्ट करेंगे. नगर निगम 180 वर्ग फीट जमीन उपलब्ध कराएंगे और इन स्टेशनों का संचालन प्राइवेट कंपनियां करेंगी, जिन्हें 'चार्ज प्वाइंट ऑपरेटर (CPO)' कहा जाएगा.
निजी निवेश और सरकारी सहयोग
चार्जिंग स्टेशनों का निर्माण पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत होगा, जिससे सरकार पर वित्तीय दबाव कम होगा और निजी कंपनियों को भी निवेश का अवसर मिलेगा. बिजली, बीमा, टैक्स और सुरक्षा की जिम्मेदारी ये कंपनियां उठाएंगी, साथ ही उन्हें टेक्नोलॉजी को समय-समय पर अपडेट भी करना होगा. उन्हें विज्ञापन और कमर्शियल गतिविधियों की भी अनुमति होगी, लेकिन नगर निगम की मंजूरी ज़रूरी होगी.
हरित भविष्य की ओर कदम
2022 में लागू की गई 'ईवी विनिर्माण और गतिशीलता नीति' का यह हिस्सा है, जिसका लक्ष्य है ₹30,000 करोड़ का निवेश और 10 लाख से ज्यादा रोजगार पैदा करना. इस पूरी योजना पर निगरानी के लिए एक सिंगल विंडो सिस्टम तैयार किया गया है, जिसे मुख्यमंत्री कार्यालय स्वयं मॉनिटर करता है. इससे निवेशकों को तेज़ी से अनुमति मिल सकेगी और परियोजनाएं समय से पूरी होंगी.
2030 तक 102 मिलियन EV का टारगेट
भारत सरकार ने 2030 तक 102 मिलियन इलेक्ट्रिक वाहनों को सड़क पर लाने का लक्ष्य रखा है और उत्तर प्रदेश इस दिशा में अग्रणी बनने की पूरी तैयारी में है. जिस तेजी से राज्य में ईवी अपनाए जा रहे हैं, वह न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है बल्कि राज्य को एक राष्ट्रीय मॉडल के रूप में भी स्थापित कर सकता है.
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