180 फाइटर जेट, हजारों मिसाइलें... समंदर में आने वाला है तूफान, इजरायल-ईरान युद्ध में ऐसे एंट्री मारेगा अमेरिका

    वॉशिंगटन न केवल कूटनीतिक दबाव बना रहा है, बल्कि सैन्य स्तर पर भी ऐसा कदम उठाने जा रहा है जो आधुनिक इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया.

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    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    "ऑपरेशन राइजिंग लायन" के आगाज़ के साथ ही मिडिल ईस्ट में युद्ध का बिगुल पूरी तरह बज चुका है. इजरायल और ईरान आमने-सामने हैं—एक तरफ इजरायली फाइटर जेट्स ईरान के सामरिक ठिकानों को निशाना बना रहे हैं, तो दूसरी ओर ईरानी हाइपरसोनिक मिसाइलें इजरायली धरती को भेद रही हैं.

    लेकिन अब इस टकराव में सबसे अहम मोड़ आने वाला है—अमेरिका की सक्रिय एंट्री. वॉशिंगटन न केवल कूटनीतिक दबाव बना रहा है, बल्कि सैन्य स्तर पर भी ऐसा कदम उठाने जा रहा है जो आधुनिक इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया.

    अमेरिकी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप्स की रणनीतिक तैनाती

    1. USS Carl Vinson Carrier Strike Group – पहले से तैनात

    मिडिल ईस्ट में मौजूद यह स्ट्राइक ग्रुप इस समय अमेरिका की अग्रिम पंक्ति की सैन्य उपस्थिति का केंद्र है. इसमें शामिल हैं:

    • क्रूजर: USS प्रिंसटन
    • डिस्ट्रॉयर: USS स्टेरेट और USS विलियम पी. लॉरेंस

    एयर विंग:

    • 50–60 फाइटर जेट्स (F/A-18E, F/A-18F, F-35C)
    • EA-18G इलेक्ट्रॉनिक अटैक जेट
    • E-2D हॉकआई एयरबोर्न कमांड सिस्टम
    • MH-60R और MH-60S हेलिकॉप्टर्स
    • C-2A लॉजिस्टिक एयरक्राफ्ट
    • कुल एयरक्राफ्ट: लगभग 90

    इस तैनाती का मकसद सिर्फ सैन्य दबदबा नहीं, बल्कि मिडिल ईस्ट में अमेरिकी हितों की रक्षा और संभावित जवाबी कार्रवाई की तैयारी है.

    2. USS Nimitz Carrier Strike Group – रूटीन से युद्ध की ओर

    साउथ चाइना सी में अपने नियमित मिशन पर चल रहे USS निमित्ज ग्रुप को अचानक मिडिल ईस्ट की ओर मोड़ दिया गया है. अगले 15 दिनों में इसके वहां पहुंचने की संभावना है.

    • एयर विंग 17 के साथ 90 से अधिक विमान
    • 50–60 F/A-18 सुपर हॉर्नेट
    • EA-18G ग्रोलर इलेक्ट्रॉनिक अटैक जेट
    • E-2C/D कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम
    • MH-60R हेलिकॉप्टर्स और लॉजिस्टिक एयरक्राफ्ट
    • नेवी एस्कॉर्ट: 1 क्रूजर, 3–4 गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर

    3. USS Gerald R. Ford – युद्ध क्षेत्र की ओर कूच

    सबसे आधुनिक और न्यूक्लियर पावर्ड सुपर कैरियर USS Gerald R. Ford को भी मेडिटेरेनियन सी की ओर रवाना किया जा चुका है. यह कैरियर, अगले सप्ताह यूरोप होते हुए मिडिल ईस्ट में दाखिल होगा.

    एयर विंग 8 के तत्वावधान में:

    • 50–60 F/A-18 सुपर हॉर्नेट
    • EA-18G ग्रोलर स्क्वाड्रन
    • E-2C/D कमांड एंड कंट्रोल
    • 6–8 MH-60R हेलिकॉप्टर यूनिट्स
    • सहायक जहाज: 1 क्रूजर, 6 गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर
    • सीक्रेट सिक्योरिटी: संभावित न्यूक्लियर-सक्षम सबमरीन भी मौजूद

    यह तैनाती बताती है कि अमेरिका अब सिर्फ रक्षा की मुद्रा में नहीं, बल्कि जरूरत पड़ी तो प्रत्यक्ष युद्ध में उतरने को भी तैयार है.

    हूती विद्रोह से लेकर पूर्ण युद्ध तक

    अमेरिका पहले ही ईरान-समर्थित हूती विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक कैरियर स्ट्राइक ग्रुप तैनात कर चुका था. अब, इजरायल और अमेरिकी वॉरशिप पर बढ़ते हमलों के बीच, यह दूसरी बार है जब मिडिल ईस्ट में दो से ज्यादा एयरक्राफ्ट कैरियर तैनात किए गए हैं.

    USS कार्ल विनसन, जो पहले इंडो-पैसिफिक में ऑपरेट कर रहा था, उसे सीधे मिडिल ईस्ट भेजा गया—जहां वह USS हैरी एस. ट्रूमैन स्ट्राइक ग्रुप के साथ मिलकर ऑपरेशन में सहयोग कर रहा है.

    क्यों डर रहा है ईरान?

    अमेरिका की एयर ताकत दुनिया में सबसे घातक मानी जाती है. F-35C स्टेल्थ फाइटर्स की मौजूदगी किसी भी दुश्मन की रक्षा प्रणाली को बेकार कर सकती है. तीन कैरियर स्ट्राइक ग्रुप्स यानी एक साथ 270 फाइटर जेट्स, दर्जनों मिसाइल डिस्ट्रॉयर, और कम से कम 3 सबमरीन, यह सैन्य जमावड़ा केवल दबाव बनाने के लिए नहीं—बल्कि निर्णायक जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है.

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