जब जंग का फैसला मिसाइल की गति से हो, तो हर देश अपने दुश्मन से एक कदम आगे रहने की होड़ में लग जाता है. जून 2025 में ईरान और इज़रायल के बीच शुरू हुई भीषण झड़प ने दुनिया को एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आज के युद्ध में असली ताकत किसके पास है — बैलिस्टिक मिसाइलें या हाइपरसोनिक हथियार?
वो रात जब ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों ने इज़रायली जमीन को हिलाया और जवाब में इज़रायल की हाइपरसोनिक मिसाइलों ने ईरान के भीतर तक घुसकर हमला किया, तब दुनिया ने तकनीक की सबसे खतरनाक शक्ल देखी. उस रात केवल बम नहीं गिरे थे — उस रात भविष्य की लड़ाइयों का ब्लूप्रिंट तैयार हो गया.
बैलिस्टिक बनाम हाइपरसोनिक: युद्ध की नई परिभाषा
बैलिस्टिक मिसाइलें कोई नई बात नहीं हैं. ये दशकों से सुपरपावर की पहचान रही हैं. इनकी कार्यप्रणाली सीधी है — ज़ोर से दागो, ये अंतरिक्ष तक जाती हैं और फिर गुरुत्वाकर्षण के भरोसे अपने टारगेट पर गिरती हैं. भारत की अग्नि-5 मिसाइल इसकी शानदार मिसाल है, जो 5,000 किलोमीटर तक वार कर सकती है. ईरान की सेजिल मिसाइल भी इसी श्रेणी में आती है, जिसने हाल में इज़रायली एयरबेस को निशाना बनाया.
लेकिन इनकी एक बड़ी कमजोरी है — एक बार दाग दिए जाने के बाद, इनका रास्ता बदला नहीं जा सकता. यानि अगर दुश्मन को समय रहते अलर्ट मिल गया, तो ये रोकने लायक हो सकती हैं.
इसके मुकाबले, हाइपरसोनिक मिसाइलें 21वीं सदी की विनाशलीला हैं. इनकी रफ्तार आवाज की गति से कम से कम पांच गुना ज्यादा होती है यानी 6,000 से 12,000 किलोमीटर प्रति घंटे तक. लेकिन इनकी सबसे ख़तरनाक बात? ये हवा में अपनी दिशा बदल सकती हैं. यानि दुश्मन चाहे जितने रडार लगा ले, यह मिसाइल किसी गुप्त रास्ते से कमांड सेंटर, एयरबेस या रडार स्टेशन को भी तबाह कर सकती है.
तकनीकी तुलना: किसमें कितनी ताकत?
बैलिस्टिक मिसाइलों की प्रमुख विशेषताएं:
हाइपरसोनिक मिसाइलों की प्रमुख विशेषताएं:
भारत कहां खड़ा है इस दौड़ में?
भारत के पास बैलिस्टिक मिसाइलों की मजबूत श्रृंखला मौजूद है — अग्नि-1 से अग्नि-5, पृथ्वी, शौर्य जैसी मिसाइलें हमारे रणनीतिक कवच की रीढ़ हैं. इनमें कई मिसाइलें परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम हैं.
हाइपरसोनिक मोर्चे पर भारत अभी विकास के फेज में है. DRDO ने Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle (HSTDV) का सफल परीक्षण किया है. इसके अलावा रूस के सहयोग से ब्रह्मोस-2 जैसी हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल पर काम चल रहा है. ये मिसाइलें भारत को भविष्य की युद्ध रणनीति में अहम स्थान दिला सकती हैं.
कौन है ज्यादा खतरनाक?
इसका जवाब सीधा नहीं है, क्योंकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि युद्ध की रणनीति क्या है. बैलिस्टिक मिसाइलें लंबी दूरी के हमलों और परमाणु हथियार पहुंचाने में श्रेष्ठ हैं. लेकिन इनकी दिशा पहले से तय होती है, जिससे दुश्मन को सतर्क होने का मौका मिल सकता है. हाइपरसोनिक मिसाइलें गति, दिशा परिवर्तन और सटीकता के मामले में बेहद घातक हैं. ये कम समय में बड़े असर के लिए ज्यादा उपयुक्त मानी जाती हैं.
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