अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की लगातार टैरिफ धमकियों और रूस-यूक्रेन युद्ध पर उनके दृष्टिकोण के बाद नाटो देशों ने अब F-35 लड़ाकू जेट खरीदने की अपनी प्रतिबद्धता पर पुनर्विचार करना शुरू कर दिया है. वर्तमान में F-35 विमान का संचालन अमेरिका के अलावा 19 सहयोगी देशों द्वारा किया जा रहा है, जिसमें दक्षिण कोरिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया और इजरायल जैसे गैर-नाटो देश भी शामिल हैं. कई नाटो देशों ने अपने पुराने विमान बेड़े को बदलने के लिए F-35 जेट खरीदने की योजना बनाई थी.
ट्रंप के 'तेवर' का पड़ रहा असर?
इन देशों की योजना थी कि वे अमेरिकी F-35 को खरीदकर अपने पुराने अमेरिकी, यूरोपीय और यहां तक कि सोवियत युग के लड़ाकू विमानों को बदलें, लेकिन हाल के भू-राजनीतिक घटनाक्रमों ने इन सौदों को संशय में डाल दिया है. गुरुवार को पुर्तगाल के रक्षा मंत्री ने 28 F-16 विमानों को F-35 लाइटनिंग II से बदलने की योजना की पुनरावलोकन की आवश्यकता पर जोर दिया और इसे "नाटो के संदर्भ में हाल के अमेरिकी रुख" से जोड़ा.
कनाडा के नवनियुक्त प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने भी अपने देश के 13 बिलियन डॉलर के अनुबंध की समीक्षा करने का आदेश दिया है, जिसमें 88 F-35 विमानों का ऑर्डर शामिल है. वहीं, जर्मनी के 35 विमानों के ऑर्डर पर भी अब अनिश्चितता बनी हुई है. F-35 कार्यक्रम को लगातार लागत में वृद्धि और तकनीकी असफलताओं का सामना करना पड़ा है, हालांकि यह अभी भी दुनिया के सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है. इसमें स्टेल्थ क्षमताएं, अत्याधुनिक सेंसर और बहु-भूमिका कार्यक्षमता जैसी विशेषताएं हैं.
JAS-39 ग्रिपेन एक संभावित विकल्प
एयरोस्पेस कंसल्टेंसी एरोडायनामिक एडवाइजरी के प्रबंध निदेशक रिचर्ड अबौलाफिया ने कहा, "F-35 वास्तव में एक बेहतरीन विमान है, जिसमें उच्चतम श्रेणी की क्षमताएं हैं. यह विमान सबसे अधिक स्टील्थ भी है." नाटो देशों के लिए एक ही प्रकार के विमान का उपयोग करने से कई फायदे होते हैं, जैसे पायलटों का प्रशिक्षण, रखरखाव, स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति और युद्ध सामग्री की अनुकूलता सरल हो जाती है.
F-35 कार्यक्रम के कड़े समर्थक, टेक्सास के पूर्व प्रतिनिधि मैक थॉर्नबेरी ने चेतावनी दी कि यदि कोई देश इस विमान से पीछे हटता है, तो यह नाटो की एकजुटता को कमजोर करेगा, जो हमारे विरोधियों के लिए फायदेमंद हो सकता है. उन्होंने कहा, "जब सभी सहयोगी एक ही उपकरण का उपयोग करते हैं, तो एक साथ लड़ने में आसानी होती है." जो देश विकल्प तलाश रहे हैं, उनके लिए स्वीडन का साब JAS-39 ग्रिपेन एक संभावित विकल्प बनकर उभरा है. हालांकि इसमें स्टेल्थ की कम क्षमताएं हैं, लेकिन ग्रिपेन की गति, सीमा और कम खरीद और परिचालन लागत इसे एक आकर्षक विकल्प बनाती है.
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