अब हिमाचल प्रदेश के CM सुक्खू पर 'जंगली चिकन' खाने का आरोप, जानें क्या दी सफाई?

    कथित तौर पर मेहमानों को परोसे गए खाने के मेनू में 'जंगली चिकन' शामिल था, जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत एक संरक्षित प्रजाति है.

    अब हिमाचल प्रदेश के CM सुक्खू पर 'जंगली चिकन' खाने का आरोप, जानें क्या दी सफाई?
    'सरकार गांव के द्वार' पहल के दौरान सुखविंदर सिंह सुक्खू एक गांव में खाना खाते हुए, प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo- ANI

    शिमला (हिमाचल प्रदेश) : हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू एक नए विवाद में फंस गए हैं, जब भाजपा और पशु अधिकार समूहों ने आरोप लगाया कि सीएम ने मेनू में 'वाइल्ड चिकन' वाले डिनर में हिस्सा लिया था.

    शनिवार को सीएम ने आरोप का खंडन करते हुए कहा कि उन्हें देशी चिकन दिया गया था, लेकिन उन्होंने इसे नहीं खाया.

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    सीएम ने कहा- उन्होंने खाने से मना कर दिया था

    हिमाचल के सीएम सुक्खू ने अपने कार्यालय (सीएमओ) द्वारा जारी एक वीडियो में कहा, "स्थानीय ग्रामीण मुझे देसी चिकन दे रहे थे, लेकिन मैं इसे नहीं खाया- और एक चैनल इसे इस तरह प्रसारित कर रहा था जैसे कि मैं चिकन खा रहा हूं. मांसाहारी भोजन पहाड़ों में जीवन का एक हिस्सा है. जयराम ठाकुर (बीजेपी नेता और पूर्व सीएम) इस पर बयान दे रहे हैं."

    शिमला में हाल ही में आयोजित एक कार्यक्रम में सुक्खू की भागीदारी ने विवाद को जन्म दिया, जब कथित तौर पर मेहमानों को परोसे गए खाने के मेनू में 'जंगली चिकन' शामिल था, जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत एक संरक्षित प्रजाति है.

    यह घटना, एक पशु कल्याण संगठन की ओर से साझा किए गए एक कथित वीडियो से सामने आई, जिसकी पशु अधिकार समूहों और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने व्यापक निंदा की है, जिसमें माफी मांगने और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.

    शिमला में आयोजित कार्यक्रम के मेनू में ये भोजन थे शामिल

    शिमला के सुदूर कुफरी क्षेत्र में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में, मुख्यमंत्री सुखू ने एक रात्रिभोज में भाग लिया, जिसमें मेनू में जंगली चिकन, बिच्छू बूटी (एक स्थानीय जड़ी बूटी) और मक्का और गेहूं से बने ब्रेड के स्लाइस शामिल थे.

    हालांकि मुख्यमंत्री सुक्खू ने 'जंगली चिकन' नहीं खाया, लेकिन इसे राज्य के स्वास्थ्य मंत्री और अन्य मेहमानों को परोसा गया, जिससे संरक्षित प्रजातियों के अवैध शिकार के बारे में चिंताएं बढ़ गईं. हिमाचल प्रदेश में 3,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर पाए जाने वाले यह जंगली मुर्गा कानूनी रूप से संरक्षित है, और उनका शिकार करना दंडनीय अपराध है.

    सोशल मीडिया पर विवाद ने पकड़ा तूल, की जवाबदेही की मांग

    विवाद ने सोशल मीडिया पर तूल पकड़ लिया, जिसमें पशु कल्याण समूहों और राजनीतिक नेताओं दोनों ने जवाबदेही की मांग की.

    इससे पहले, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता चेतन भर्ता ने मांग की कि मुख्यमंत्री सुक्खू सार्वजनिक रूप से माफी मांगें और जंगली मुर्गे परोसने में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें.

    पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी घटना की निंदा की और इसे अस्वीकार्य बताया व सरकार से इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई की अपील की.

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