संभल जाओ, एलन मस्क के Grok से ऊलजलूल सवाल करने पर हो सकती है जेल! सरकार ने कर ली एक्शन की तैयारी

एलन मस्क के AI चैटबॉट "ग्रोक" से लोग अजीबोगरीब सवाल पूछने में लगे हुए हैं, और इस पर ग्रोक भी उतने ही विचित्र और भड़काऊ जवाब दे रहा है.

you may be jailed for asking silly questions to Elon Musk Grok
Grok AI | Photo: X

एलन मस्क के AI चैटबॉट "ग्रोक" से लोग अजीबोगरीब सवाल पूछने में लगे हुए हैं, और इस पर ग्रोक भी उतने ही विचित्र और भड़काऊ जवाब दे रहा है. इसके बाद ये जवाब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहे हैं, जिससे यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है. अब सरकार ने ऐसे सवालों और जवाबों के खिलाफ कार्रवाई करने का मन बना लिया है. सरकार का कहना है कि अगर कोई यूजर ग्रोक से इस तरह के सवाल पूछता है, तो उस यूजर और प्लेटफॉर्म दोनों पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.

यह मामला उस समय सामने आया है जब ग्रोक की मूल कंपनी X ने भारत सरकार के आदेश के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सरकार ने X से कंटेंट हटाने का आदेश दिया था, लेकिन X ने इसे चुनौती दी है और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन मानते हुए अदालत में मामला दायर किया है. X का कहना है कि सरकार का यह कदम गैरकानूनी है और इससे अभिव्यक्ति की आजादी पर कुठाराघात हो रहा है. वहीं, सरकार का कहना है कि X को देश के कानून का पालन करना होगा और कोई भी कंटेंट जो देश की सुरक्षा या कानून व्यवस्था के लिए खतरा हो, उसे हटाना होगा.

क्या है मामला?

दरअसल, ग्रोक के हिंदी में दिए गए कुछ जवाबों में आपत्तिजनक शब्द पाए गए थे, जिसके बाद सरकार ने इस मामले पर एक्शन लेने की तैयारी की. सरकार का कहना है कि ग्रोक से भड़काऊ या आपत्तिजनक सवाल पूछने और उन सवालों का जवाब देने दोनों ही गैरकानूनी हो सकते हैं. अगर ग्रोक को इस तरह के सवालों के जवाब देने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है, तो उसके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.

X का विरोध

X ने अपने बयान में कहा है कि सरकार IT अधिनियम की धारा 79(3)(b) का गलत इस्तेमाल कर रही है, क्योंकि इसके तहत कंटेंट ब्लॉक करने का अधिकार नहीं दिया गया है. X का कहना है कि यह आदेश केवल IT अधिनियम की धारा 69A के तहत ही दिया जा सकता है. इसके अलावा, कंपनी ने कर्नाटक हाईकोर्ट से सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग की है.

कानूनी कार्रवाई का खतरा

सरकार के सूत्रों के अनुसार, यदि कोई यूजर ग्रोक से भड़काऊ सवाल पूछता है और उसे भड़काऊ जवाब मिलता है, तो उस यूजर और ग्रोक दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. सरकार का कहना है कि इसे केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत नहीं देखा जा सकता, क्योंकि यह कानून और व्यवस्था के लिए खतरा बन सकता है.

सरकार और X के बीच टकराव

यह मामला एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि सरकार को ऑनलाइन कंटेंट पर कितनी और किस प्रकार की कड़ी निगरानी रखनी चाहिए. जहां X इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन मानता है, वहीं सरकार का कहना है कि वह गैरकानूनी कंटेंट को रोकने के लिए कदम उठाने का अधिकार रखती है. इस मामले में आगामी 27 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है, जिसमें फैसला आने पर यह स्पष्ट होगा कि सरकार और X के बीच चल रही कानूनी लड़ाई का क्या परिणाम होगा.

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